केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ने इस महामारी के दौरान कक्षा 8 तक के बच्चों के लिए एक अहम फैसला लिया है। जिसके तहत 11 करोड़ 80 लाख छात्रों के खाते में विशेष राहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण ( Direct Benefits Transfer) के द्वारा सहायता राशि जमा होगी। सरकार के इस उपाय से देश में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में एक से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को लाभ होगा।
केंद्र सरकार इसके लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 1200 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि मुहैया कराएगी। इस महामारी के दौरान बच्चों के स्वास्थ्य और जरूरी पोषण उपलब्ध कराने के लिए व रोग प्रतिरोधक क्षमता को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है।
मिड डे मील का उद्देश्य
सरकारी स्थानीय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल और ईजीएस व एआईई केन्द्रों तथा सर्व शिक्षा अभियान के तहत सहायता प्राप्त मदरसों एवं मकतबों में कक्षा I से VIII के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार करना है। लाभवंचित वर्गों के गरीब बच्चों को नियमित रूप से स्कूल आने और कक्षा के कार्यकलापों पर ध्यान केन्द्रित करने में सहायता करना, और ग्रीष्मावकाश के दौरान अकाल-पीडि़त क्षेत्रों में प्रारंभिक स्तर के बच्चों को पोषण सम्बन्धी सहायता प्रदान करना।
मिड डे मील योजना की शुरुवात साल 1995 में केंद्र सरकार द्वारा गरीब बच्चो के अच्छे पोषण के लिए की गई। जो कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन यह चलती है। सबसे पहले इस स्कीम को 2000 से अधिक ब्लॉकों के स्कूलों में लागू किया गया था। इस स्कीम के सफल होने के बाद इस स्कीम को साल 2004 में पूरे देश के सरकारी स्कूलों में लागू कर दिया था और इस वक्त ये स्कीम हमारे पूरे देश के सराकरी स्कूलों में चल रही है। अभी हाल में देश के उपराष्ट्रपति ने दोपहर भोजन योजना में दूध को भी शामिल करने का निर्देश दिया।
केंद्र सरकार के इस बार के विशेष कल्याणकारी उपाय से देश भर के 11.20 लाख सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले लगभग 11.8 करोड़ बच्चे लाभान्वित होंगे। इस महामारी के दौरान बच्चों के अच्छी सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए ये अहम फैसला केंद्र सरकार द्वारा लिया गया है।