मरकज ने डाली खतरे में हजारों की जानें, आखिर कौन है जिम्मेदार? पुलिस, प्रशासन या दिल्ली सरकार!

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30 जनवरी को चीन से फैले कोरोना वायरस ने भारत में पहली दस्तक दी। इस दिन इस वायरस से संक्रमित पहला मामला मरीज सामने आया। जिसके बाद भारत सरकार तुरंत एक्शन में आई और तमाम बड़े कार्यक्रमों और विदेशों से भारत आने वाले लोगों पर जरूरी कार्यवाही शुरु कर दी। मार्च में जब कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर दिया। लॉकडाउन के शुरुआती कुछ दिनों में जहां इस वायरस पर काबू पाता दिखा तो दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीकी जमात ने सरकार की सारी तैयारियों पर पानी फेर दिया।

दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीगी जमात ने 18 मार्च को एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस आयोजन में 2000 से ज्यादा लोग शामिल हुए जिसमें 500 लोग विदेशी भी थे। जमात के इस कार्यक्रम में शामिल होने के बाद कुछ लोग देश के अलग-अलग राज्यों में भी गए। संकट तब पैदा हो गया जब इस मरकज में शामिल हुए 10 लोगों की मौत कोरोना से हो गई। जबकि 24 लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए। 300 से ज्यादा लोग इस समय कोरोना के संदिग्ध हैं तो वहीं 700 लोगों की दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में जांच जारी है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी धीरे-धीरे संक्रमण फैलता दिखाई दे रहा है। इस सभी लोगों ने दिल्ली की मरकज में हिस्सा लिया था। इस पूरे मामले पर अब सियायत भी पूरी तरह से गर्मा गई है। सरकार, पुलिस, प्रशासन और आयोजक एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। पुलिस इस मामले में जमात के मौलाना को आरोपी ठहरा रही है तो वहीं आयोजकों ने इस पूरे मामले की जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन पर थोप दी है।

तबलीगी जमात की दलील

इस समय सवालों के कठघरें में खड़ी तबलीगी जमात का कहना है कि उन्होनें लॉकडाउन के बाद 25 मार्च को प्रशासन को चिठ्ठी लिखकर बाहर निकलने के लिए मदद मांगी थी। लेकिन पुलिस और दिल्ली सरकार की तरफ से उन्हें किसी भी तरह की कोई मदद मुहैया नहीं कराई गई। तबलीगी जमात का कहना है कि 22 मार्च या उसके बाद वहां वास्तव में कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। देशव्यापी लॉकडॉन भी इसी दौरान आया।

गृहमंत्रालय से भी मिला था इनपुट

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक गृहमंत्रालय के पास इस बात की जानकारी थी और मंत्रालय द्वारा यह जानकारी दिल्ली प्रसाशन और सरकार को पहले ही दे दी गई थी कि हजरत निजामुद्दीन में 21 मार्च तक 1746 लोग ठहरे हुए हैं। जिसमें 210 विदेशी हैं। मरकज के अलावा देश के अलग अलग हिस्सों के 824 लोग दिल्ली के मरकज में शामिल थे। ऐसे में अब सवाल ये है कि प्रशासन और दिल्ली सरकार द्वारा इस खतरे को देखते हुए तुरंत कार्रवाई करते हुए इनको लॉकडाउन के ऐलान के बाद या पहले क्वारंटाइन क्यों नहीं किया गया?

दिल्ली सरकार से हुई बड़ी चूक

दिल्ली के निजामुद्दीन से अगर ये मामला सामने आया है तो इसमें दिल्ली सरकार की भी एक बड़ी चूक है। मरकज के कार्यक्रम की जानकारी 24 मार्च को ही सामने आ गई थी लेकिन इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने मकरज में एकत्रित हजारों लोगों को बाहर निकलने के आदेश क्यों नहीं दिए? कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए इतनी चाकचौबंद व्यवस्था का दावा और लॉकडाउन के सख्ती से पालन का ऐलान किया गया है तो फिर इतनी बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने की जानकारी दिल्ली की सरकार को क्यों नहीं मिली? दिल्ली सरकार इन सभी सवालों के घेरे में खड़ी हुई है।

चलता रहा नोटिसों का खेल

केजरीवल सरकार ने 16 मार्च को एक ही जगह पर 20 से ज्यादा लोगों के इक्कठ्ठे होने पर पांबदी लगाई थी। इसके बाद 21 मार्च को 5 से ज्यादा लोगों के एक जगह एकत्रित होने पर रोक लगाई गई। इस बावत जमात को 2 बार नोटिस भी भेजा गया। खास बात ये है कि जहां ये कार्यक्रम हो रहा था, ठीक उसी के बराबर में पुलिस थाना था। 23 मार्च को फिर एसएचओ द्वारा जमात को नोटिस दिया गया। लेकिन ऐसी क्या वजह थी कि पुलिस और दिल्ली सरकार नोटिसों के खेल में उलझी रही है मकरज में एकत्रित भीड़ को खाली नहीं करा सकी?

दूसरी तरफ नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 25 मार्च को अंडमान प्रशासन ने जमात में शामिल हुए 10 लोगों की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट दिल्ली सरकार को भेजी थी। ये सभी दिल्ली की तबलीकी जमात में शामिल होने के बाद अंडमान गए जहाँ उनमें इस बीमारी के लक्षण पाये गए। इसके बावजूद दिल्ली सरकार कागज़ी कार्यवाही में अटकी रही और जमात के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए।

एसएचओ ने जारी किया वीडियो, जमात की बड़ी लापरवाही

जमात के दिल्ली मरकज ने सरकार और प्रशासन पर कई तरह से सवाल तो खड़े कर ही दिए हैं लेकिन जमात के आयोजक भी इस समय निशाने पर हैं। दरअसल हाल ही में दिल्ली पुलिस के एसएचओ ने 23 मार्च का एक वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होनें जमात के पदाधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि मरकज में 5 से ज्यादा लोग नहीं रहने चाहिए। इसके लिए जमात के मौलाना के नाम पर पुलिस द्वारा नोटिस भी जारी किया गया। लेकिन बावजूद इसके जमात के पदाधिकारियों ने न तो एसडीएम से संपर्क किया और न लोगों के मरकज से बाहर ले जाने की कोई कोशिश की।

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