जानिए मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक नजरिए से क्यों खास है फागुन का महीना? इस महीने के त्योहारों का भी है अपना ही महत्व।

होलाष्टक अर्थात होली से पहले फाल्गुन में 8 दिन तक आने वाले सभी त्योहार। फाल्गुन का आखिरी सप्ताह हमें सिखाता है कि किस तरह से हमें जीवन में उमंग और पॉजिटिविटी के साथ यात्रा करनी चाहिए? इस सप्ताह आने वाले सभी व्रत और त्योहार लोगों को अच्छी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।

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हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्तमान में फाल्गुन का महीना चल रहा है और इसी महीने में होली का त्योहार मनाया जाता है सभी जानते हैं कि होली के त्यौहार के पीछे बहुत सारी दंत कथाएं हैं और बहुत सारे पौराणिक संबंध भी हैं। भगवान विष्णु के परम भक्त भक्त प्रहलाद को उनके भक्ति मार्ग से दिखाने के लिए, उनके पिता हिरण्यकश्यप ने बहुत सारे षड्यंत्र रची थी लेकिन उसके पश्चात भी भक्त प्रहलाद की भगवान विष्णु के प्रति आस्था कम न हो सके अन्यथा अपनी बहन होलिका के साथ प्रह्लाद को अग्नि में बैठा कर उसे मारने की योजना बनाई गई परंतु भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद उस आग से जीवित निकल आए और होलिका आग में स्वाहा हो गई। इस कहानी से प्रेरणा मिलती है कि जीवन में सत्य और आस्था हैं कभी भी समाप्त नहीं होती समाप्त होते हैं तो उन्हें नकारने वाले।

इसी महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी भी आती है। जिसका संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से बताया जाता है। माना जाता है इसी दिन माता पार्वती का गाना हुआ था और भगवान शिव उन्हें काशी लेकर आए थे। इसके अलावा कुछ पौराणिक संदर्भ यह बताते हैं कि इसी तिथि को भगवान विष्णु से आंवले का पेड़ उत्पन्न हुआ था। इसीलिए इसी तिथि को हरिहर के रूप में मनाया जाता है। हरि अर्थात भगवान नारायण और हर अर्थात भगवान शिव।

प्रचलित मान्यता के अनुसार शिवजी ने अपनी तपस्या भंग करने का प्रयास करने पर कामदेव को फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को भस्म कर दिया था। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते हैं, जब कामदेव भस्म हुए तो पूरा विश्व शोक में डूब गया। जब कामदेव की पत्नी रति द्वारा भगवान शिव से क्षमा याचना की गई, तब शिवजी ने कामदेव को पुनर्जीवन प्रदान करने का आश्वासन दिया। इसके बाद लोगों ने खुशी मनाई। होलाष्टक का अंत धुलेंडी के साथ होने के पीछे एक कारण यह माना जाता है।

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