करवा चौथ का त्यौहार सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस पूरे दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए उस व्रत का परायण करतीं हैं। उस दिन चंद्रमा का बड़ा महत्व है और चंद्रमा की पूजा के बिना करवा चौथ का व्रत पूर्ण नहीं हो पाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का उत्सव मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के फल से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। इस दिन करवा माता कथा माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा की जाती है।
शास्त्रों के अनुसार, चंद्रमा सभी तरह की औषधियों के स्वामी हैं और वह मन के भी कारक हैं। चंद्र पूजन से दीर्घ आयु और पति-पत्नी के बीच प्रेम में वृद्धि होती है। चंद्रमा मन का भी कारक ग्रह है और स्त्रियों का मन सबसे ज्यादा चंचल होता है। चंद्र पूजन से मन की चंचलता खत्म होती है और चंद्रदेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। करवाचौथ के दिन शिव परिवार की पूजा की जाती हैं। इस दिन सुहागन महिलाएं चंद्रमा को निमित बनाकर पार्वती जैसी पत्नी बनना चाहती हैं क्योंकि माता पार्वती सभी आर्दश महिलाओं की प्रतीक हैं। सुहागन महिलाएं माता से प्रार्थना करती हैं कि जिस प्रकार की सति सावित्री का सौभाग्य अमर रहा, उसी तरह मेरा भी सौभाग्य अमर रहे, ऐसा चंद्रमा को देखकर माना जाता है।