प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना संक्रमण के समय पूरे भारत से अनुरोध किया था कि अब हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। क्योंकि भारत एक विशाल देश है और यहाँ के लोगों के पास अपना कोई ना कोई एक खास हुनर भी है। जो पिछले कई आक्रमणों के बाद धीरे-धीरे क्षीण होने लगा है या यूं कहिए कि गांव का नगरों में परिवर्तन होने के पश्चात यह खास हुनर धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है। इसी तरह का एक हुनर मध्य प्रदेश के रीवा के लोगों में पाया जाता है। सुपारी के खिलौनों के लिए रीवा ने मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। यहां के कलाकारों की कलाकृतियां दूसरे प्रदेश के लोग भी बहुत पसंद करते हैं यह बताया जाता है कि ऐसी कलाकृतियां शायद ही किसी प्रदेश में बनाई जाती हैं।
इन खिलौनो का निर्माण करने वाले बताते हैं कि गिफ्ट देने के लिए इन खिलौनों का निर्माण किया जाता है! इनकी माँग इतनी ज़्यादा है कि एक से अधिक संख्या में जरूरत पड़ने पर एडवांस में लोग आर्डर देते हैं, शहर में आने वाले सभी राजनेताओं अभिनेताओं तथा मुख्य अतिथियों को सुपारी से निर्मित खिलौने दिए जाते हैं! इसकी शुरुआत रीवा राजघराने द्वारा सुपारी को पान के साथ इस्तेमाल करने के लिए अलग-अलग डिजाइन में कटवाने के लिए हुई थी । उसी की डिजाइन बनाते बनाते कलाकृतियां भी सामने आने लगीं। 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जब रीवा आई थीं तब उन्हें सुपारी के खिलौने भेंट किए गए थे। और उन्होंने दिल्ली पहुंचकर इस खिलौने को बनाने वाले राम सिया कुंदेरको सम्मानित किया था। इन कलाकृतियों में सुपारी से बने गणेश जी लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।