भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का नाम कौन नहीं जानता है? पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की शख्सियत सदियों में किसी देश को मिलती है और सबसे कठिन कार्य होता है ऐसे व्यक्तियों के क़दमों के पीछे चलना। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम को सदैव के लिए अमर रखने के लिए रोहतांग को लेन सड़क से जोड़ने वाली सबसे लंबी टनल का निर्माण किया है, जिसका नाम रखा गया है अटल टनल। एक तरफ भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है जिसे लेकर दोनों देशों के बीच लगातार तनातनी देखी जा सकती है। तो वहीं भारत ने रोहतांग को लेह सरहद से जोड़ने वाली 10,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई दुनिया की सबसे लंबी सुरंग बनकर तैयार हो गई है। यह टनल लगभग 9 किलोमीटर लंबी है।
कुछ सूत्रों की माने तो टनल से लद्दाख अब पूरे सालभर जुड़ा रहेगा। साथ ही इसकी वजह से मनाली से लेह के बीच करीब 46 किलोमीटर की दूरी कम हो गई है। पहले बर्फबारी के कारण यह संभव नहीं होता था। बीआरओ के अटल टनल के चीफ इंजीनियर ब्रिगेडियर केपी पुरुषोथमन के मुताबिक टनल के डिजाइन को इस तरह से बनाया गया है कि बर्फ और हिमस्खलन से इस पर कोई असर न पड़ेगा। यह माना जा रहा है कि यहां यातायात किसी भी मौसम में अवरुद्ध नहीं होगा। टनल के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जो वाहनों की गति और हादसों पर नियंत्रण रखने में मदद करेंगे। इस टनल को बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने बनाया है। इसे बनाने की शुरुआत 28 जून 2010 को हुई थी। यह टनल लगभग 10 सालों में बनकर तैयार हुई है। इसके निर्माण में करीब 4000 करोड रुपए खर्च हुए हैं।
वास्तव में यह टनल सैनिकों के लिए वरदान साबित होगी क्योंकि पर भारी बर्फबारी के कारण सैनिकों को इस रास्ते पर सफर करना बड़ा मुश्किल हो जाता था। लेकिन इस टनल के निर्माण के बाद अब भारतीय सैनिकों की इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
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