आपने दुनिया भर की इमारतों के बारे में सुना होगा। लेकिन जिस प्रकार की इमारतें भारत में निर्मित होती है, शायद ही दुनिया के किसी हिस्से में निर्मित होती हैं। भारत में प्रतिमाओं का सबसे ज्यादा चलन है क्योंकि भारत के करोड़ों लोग प्रतिमाओं में आस्था रखते हैं और प्रतिमाओं को ईश्वर मानकर उनकी पूजा करते हैं। अभी हैदराबाद में भगवान विष्णु के भक्त वैष्णव रामानुजाचार्य की जीवन पर आधारित एक मंदिर का निर्माण हो रहा है। जिसकी कुल लागत 1000 करोड़ मानी जा रही है। रामानुजाचार्य के जन्म के लगभग 1000 साल पूरे हो चुके हैं। इसीलिए हैदराबाद में एक ऐसा मंदिर बन रहा है जो रामानुजाचार्य पर आधारित है। इसमें रामानुजाचार्य की 216 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित हो चुकी है जिसे स्टैचू ऑफ इक्वलिटी कहा जाता है। अब गर्भगृह में 120 किलो सोने से बनी मूर्ति स्थापित होनी है। हैदराबाद से करीब 40 किलोमीटर दूर रामनगर में यह मंदिर निर्मित हो रहा है।
क्यों स्थापित हो रही है 120 किलो की मूर्ति!
मंदिर में वैष्णव संत रामानुजाचार्य की 120 किलो की मूर्ति लगाने के पीछे भी एक बड़ा कारण है। मंदिर के संस्थापक चिन्ना जियर स्वामी यह बताते हैं कि संत रामानुजाचार्य इस धरती पर 120 वर्षों तक रहे थे। इसीलिए उनकी याद में 120 किलो सोने से निर्मित मूर्ति की स्थापना की जाएगी। लोग बताते हैं कि रामानुजाचार्य स्वामी ने सबसे पहले समानता का संदेश दिया था। समाज में उनकी योगदान को आज तक वो स्थान नहीं मिला जिसके वह अधिकारी थे। इसीलिए मंदिर के जरिए समाज में उनकी प्रतिष्ठा और उनके योगदान को याद किया जाएगा। मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों को पांच भाषाओं में ऑडियो गाइड मिल सकेगा। जिसमें हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगू सहित एक और भाषा भी शामिल होगी। इसमें इस तरह की सुविधा होगी कि मंदिर के भीतर रामानुजाचार्य के पूरे जीवन चित्र और वीडियो में दिखाया जाएगा। साथ ही दक्षिण भाषा के प्रसिद्ध 108 दिव्य देशम की रेप्लिका भी स्टेचू ऑफ इक्वलिटी के चारों ओर बनाई जा रही है।