जानिए भारतीय संविधान की पहली प्रति के बारे में, इस कारण से गैस चैंबर में रखी हुई है संविधान की पहली प्रति

भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा और लिखित संविधान है। भारत के संविधान की प्रथम प्रति को आज तक एक चेंबर में रखा गया है जिसका कारण आप सभी को जानना चाहिए।

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आज से ठीक 2 दिन बाद पूरे देश में गणतंत्र दिवस का महोत्सव मनाया जाएगा। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था और उसके बाद भारत में संविधान का शासन लागू हो गया। लेकिन इसी बीच सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा कि हमारे संविधान की पहली प्रति कहां है? वह संविधान कैसा दिखाई देता है? और अगर वह संविधान की प्रति है तो कहां है? भारत के संविधान दुनिया की संविधान उसे अलग इसीलिए है क्योंकि भारत का संविधान सबसे लंबा और लिखित संविधान है। इसकी मूल प्रति को आज भी गैस चैंबर में रखा गया है…नाइट्रोजन गैस के चैम्बर में रखा गया है। कारण यह है कि संविधान की यह मूल प्रति काली स्याही से लिखी है और आशंका है कि यह काली स्याही समय के साथ उड़ सकती है, इसीलिए इसे नाइट्रोजन गैस में रखा गया है।

लगातार यह कहा जाता रहा है कि भारतीय संविधान उधार का थैला है, क्योंकि भारतीय संविधान में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जो दूसरे संविधान से ली गई हैं या उनका संबंध दूसरे संविधानों से है। लेकिन इसके अलावा भी भारतीय संविधान की बहुत सारी ऐसी विशेषताएं हैं जिनके बारे में आप सभी को नहीं पता है। संविधान की पहली प्रति को बचाने की कोशिश शुरू से ही की जा रही है। इस प्रति को सुरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिकों ने कई तरह के उपाय बताए थे लेकिन अंततः इसे नाइट्रोजन गैस के चेंबर में रखा गया है।

भारतीय संविधान की कुछ प्रमुख विशेषताएं:

  • भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्ष संविधान है। क्योंकि भारतीय संविधान किसी भी धार्मिक पुस्तक पर आधारित नहीं है और ना ही भारत का कोई राष्ट्रीय धर्म है। भारत के किसी भी राष्ट्रीय चिन्ह पर किसी धर्म की मोहर नहीं है, और भारत में किसी भी धर्म को विशेष अधिकार नहीं दिए गए हैं। इसीलिए भारत का संविधान एक धर्मनिरपेक्ष संविधान है
  • भारत के संविधान के अनुसार भारत के किसी भी हिस्से में रहने वाले व्यक्ति की नागरिकता समान होती है। कुछ राज्यों को छोड़कर भारत के किसी भी नागरिक को कहीं भी रहने की आजादी भारत के संविधान में प्रदान की गई है।
  • भारत में,18 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक नागरिक को जाति, धर्म, वंश, लिंग, साक्षरता आदि के आधार पर भेदभाव किए बिना मतदान देने का अधिकार प्राप्त है।
  • देश की संप्रभुता अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय संविधान ने केंद्र को आपातकाल लगाने का अधिकार दिया है जिसका प्रयोग श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान किया था। इसके अलावा यदि केंद्र सरकार के आदेशों का पालन राज्य सरकार नहीं करतीं है तो केंद्र के आदेश पर राज्यपाल उस राज्य की सरकार को रद्द कर सकता है।

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