कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य ने हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात कर राजनैतिक बाजार को फिर से गर्म कर दिया है। इस मुलाकात के बाद सिंधिया की मोदी कैबिनेट में शामिल होने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने के छह महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार बिना किसी भाजपा नेता के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यालय पहुँच कर मोहन भागवत से मिले।
आमतौर पर सिंधिया को शिवराज सिंह चौहान के साथ ही देखा जाता रहा है। ऐसे में इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहें हैं। मध्यप्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों को लेकर भी सिंधिया ने बिगुल बजा दिया है। भाजपा ने सिंधिया के कंधों पर 16 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी डाली है।
सिंधिया ने पार्टी में मराठी लॉबी को महत्व देना भी शुरू कर दिया है। जिसके चलते ही उन्होंने मोहन भागवत और संघ सर कार्यवाह भैय्याजी जोशी से मुलाकात की। उपचुनावों से पहले सिंधिया ने पहली बार संघ मुख्यालय जाकर इस बात की पुष्टि कर दी है कि वह अब भाजपा और संघ के रंग में पूरी से रंग चुके हैं। ग्वालियर-चंबल उपचुनाव की जिम्मेदारी सिंधिया के करीबी कार्यकर्ताओं पर ही है। भाजपा पहले ही कह चुकी है कि मध्यप्रदेश में जनसंघ और भाजपा को मजबूत करने में सिंधिया परिवार का काफी योगदान रहा है। इसके बाद अब आगे की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया पर होगी।