4000 करोड़ की कीमत वाले महल में रहते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया

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मध्यप्रदेश की राजनीति में अचानक भूचाल लाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों हर जगह सुर्खियों में बने हुए हैं। कांग्रेस पार्टी को दरकिनार कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया अब अपने राजनैतिक करियर की नई पारी की शुरुआत कर चुके हैं। बुधवार को सिंधिया भाजपा में शामिल हुए। एक तरफ जहां कांग्रेसी समर्थकों ने उनका जमकर विरोध किया तो उनके चाहने वाले उनके साथ खड़े दिखाई दिए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हमेशा से ही उनके साथ खड़े दिखाई देते हैं जिसका सबसे बड़ा कारण उनका इतिहास रहा है। ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोग नाम से नहीं बल्कि महाराज कहकर ही पुकारते हैं। उनका परिवार दशकों से राज्य और देश की राजनीति में सक्रिय रहा है।

Image Attribution: Mohitkjain123 / CC BY-SA

12 लाख वर्गफीट से भी ज्यादा बड़ा है सिंधिया का महल

आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस महल में सिंधिया रहते हैं वो 12 लाख वर्गफीट से भी ज्यादा बड़ा है। खास बात ये है कि सिंधिया इस महल के एकलौते मालिक हैं। इस महल का निर्माण सन् 1874 में महाराजाधिराज जयजीराव सिंधिया अलीजाह बहादुर नें किया था। तब इसकी कीमत केवल 1 करोड़ रुपय़े ही थी। ग्वालियर स्थित ये महल कला और स्थापत्य के लिहाज से भी बेहद शानदार है।

4000 करोड़ का महल, 400 कमरे

भले ही 150 साल पुराने इस महल की कीमत पहले 1 करोड़ रुपये की हो लेकिन आज ये महल 4000 करोड़ की कीमत का हो गया है। इस महल में 400 कमरे हैं। महल का हर हिस्सा सिंधिया राजघराने के इतिहास की कहानी को बयां करता है। इस महल के एक हिस्से में म्यूजियम भी है जो सिंधिया राजवंश के इतिहास के बारे में जानकारी देता है। सिंधिया के इस महल में एक बड़ा कमरा है जो माधवराव सिंधिया के बारे में जानकारी देता है। ये महल कुल 1,240,771 वर्गफीट में फैला है।

लोगों को आकर्षित करते हैं महल के कई हिस्सें

इस महल के कई हिस्से दर्शकों के देखने के लिए म्यूजियम में तब्दील किए गए हैं। साथ ही महल के कई कमरों को भी इसी तरह से पर्यटकों के लिए आकर्षण के तौर पर तब्दील किया गया है। इस महल के म्यूजियम में कई ड्राइंग रूम, बेड रूम और किचन को पर्यटकों के लिए सजाकर रखा गया है। महल की भव्यता को देखने के लिए सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लगातार लोगों का आना जाना लगा रहता है।

वेल्स के राजकुमार के स्वागत के तौर पर हुआ था महल का निर्माण

बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस भव्य महल का निर्माण आज से 150 साल पहले वेल्स के राजकुमार किंग एडवर्ड VI के स्वागत के लिए किया गया था। जिसे सिंधिया राजवंश का निवास भी बताया जाता है। इसके बाद इस आलीशान महल को साल 1964 में आम जनता के लिए भी खोलने का फैसला किया गया। ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर माइकल फिलोस द्वारा डिजाइन किए गए इस महल को देखने के लिए हार साल लाखों लोग दूर दूर से आते हैं।

भाजपा में शामिल होते ही महल को नीलाम करने की उठी मांग

बुधवार को जैसे ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा का दामन थामा उसके ठीक बाद इस महल को नीलाम करने की मांग उठने लगी। ट्विटर पर पूरे दिन सिंधिया का महल नीलाम करो ट्रेंड करता रहा। यूजर्स ने आरोप लगाया कि आजादी की लड़ाई में सिंधिया राजपरिवार ने अंग्रेजों का साथ देकर देश से गद्दारी की थी। यूजर्स ने ये भी आरोप लगाया कि सिंधिया का ये महल देश के पूर्वजों के ऊपर किए गए जुल्म पर खड़ा है, जिस वजह से इस महल को नीलाम कर देना चाहिए। हालांकि इसके बाद सिंधिया के समर्थन में कई ट्वीट्स किए गए। जिसमें लिखा गया कि सिंधिया का ये महल कांग्रेस द्वारा चोरी किए टैक्स से नहीं बल्कि पूर्वजों की मेहनत से बनाया गया है।

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