क्या लड़ाई का अखाड़ा बनता जा रहा है सोशल मीडिया, कब बंद होगा तू-तू मैं-मैं का खेल

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सांकेतिक चित्र

हम सभी जानते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी क्या होती है? और एक लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की आजादी क्या महत्व रखती है? भारत एक लोकतांत्रिक देश है और सोशल मीडिया के दौर में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है! आज के दौर में फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर जैसे अन्य सोशल मीडिया के साधन हमारे लिए उपलब्ध हैं। जिनके द्वारा हम अपनी राय प्रकट कर सकते हैं। लेकिन यदि हम इस पर गहराई से विचार करें तो हमें यह पता चलेगा कि अब इन सोशल मीडिया के साधनों का कितना गलत उपयोग किया जा रहा है!

कंगना और संजय के बीच बढ़ता विवाद

हाल ही में कंगना और शिवसेना के नेता संजय राउत के बीच चल रहा विवाद इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है। विचारों को अभिव्यक्त करना एक लोकतांत्रिक अधिकार है, परंतु यदि वह विचार किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधक बनता है तो वह लोकतंत्र के अधिकार की श्रेणी में नहीं आता! हाल ही में कंगना रनौत ने मुंबई को पाक अधिकृत कश्मीर कहा जो कि बिल्कुल गलत है, तो वही संजय राउत का कंगना के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग करना भी गलत है! जिस तरह कंगना रनौत लगाता ट्विटर के माध्यम से बॉलीवुड इंडस्ट्री के माफियाओं पर हमला बोल रही हैं! उसके बाद उनके लिए जो लगातार अभद्र भाषा का प्रयोग किया जा रहा है, वो इस सोशल मीडिया के दुरुपयोग का सबसे बड़ा उदाहरण है।

किसी भी व्यक्ति के सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए उसके द्वारा कही गई किसी बात या किसी भाषण की एक छोटी सी क्लिप सेलेक्ट करके सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जाता है। जिसके बाद पूरा माहौल उस भाषण की छोटी सी क्लिप पर आधारित हो जाता है। हालांकि यदि उस पूरे भाषण को सुना जाए तो उस पूरे भाषण में ऐसा कोई भी वाक्य नहीं होता जिससे समाज में या कहीं भी अशांति फैले।

कांग्रेस भाजपा द्वारा सोशल मीडिया पर लगे आरोप

कांग्रेस द्वारा लगातार भारतीय जनता पार्टी पर यह आरोप लगाया जाता रहा था कि वे ईवीएम के साथ छेड़छाड़ करते हैं इसीलिए पूरे देश में उन्हें अद्भुत जीत मिलती है। हालांकि जब उन्हें राजस्थान, मध्य प्रदेश पंजाब जैसे राज्यों में विजय हासिल हुई तब उन्होंने कभी यह बात नहीं कही कि अभी भी ईवीएम खराब है! लेकिन वहीं दूसरी ओर लगातार कांग्रेस पार्टी सोशल मीडिया पर यह आरोप लगाती है कि उसका भारतीय जनता पार्टी से संबंध है और भारतीय जनता यह आरोप लगाती है कि फेसबुक जैसे सोशल मीडिया कहीं न कहीं मोदी सरकार के खिलाफ काम कर रहा है। यदि एक स्वतंत्र प्लेटफार्म पर इस तरह के आरोप लगते हैं तो निश्चित रूप से यह बहुत ही शर्मिंदगी वाली बात है।

भारतीय एकता को चुनौती देता सोशल मीडिया

सोशल मीडिया पर जिस तरह से चीजों को परोसा जा रहा है वह बहुत ही गलत तरीका है। सोशल मीडिया पर अपलोड की जाने वाली पोस्ट के लिए एक आचार संहिता का बनना बहुत आवश्यक है। क्योंकि जब तक इनके लिए विशेष नियम नहीं बनेंगे तब तक भारतीय समाज में लगातार अशांति फैलती रहेगी और ऐसे सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जाता रहेगा।

आज कोई भी व्यक्ति यदि किसी सरकार की आलोचना करना चाहता है तो वह सोशल मीडिया की मदद लेकर सरकार की आलोचना करता है। लेकिन जब आलोचना अभद्रता भाषा में बदल जाती है तब सवाल उठता है कि अब भारत के समाज को कौन अशांत कर रहा है? किसी व्यक्ति के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है लेकिन सोशल मीडिया इसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठा पाता। किसी धर्म के देवी-देवताओं का अपमान सोशल मीडिया पर किया जाता है लेकिन उसके वीडियोस, उसकी फोटोस लगातार सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं। यह सोशल मीडिया की सबसे बड़ी नाकामी है। पिछले दिनों बेंगलुरु में भड़की हिंसा, दिल्ली दंगों में जलते घर और अब हिंदू देवी देवताओं का होता हुआ अपमान, इसे सोशल मीडिया के दुरुपयोगो का सबसे बड़ा उदाहरण माना जा सकता है।

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