उत्तराखंड (Uttarakhand) में सेब (Apple) की मार्केटिंग को बढ़ाने के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव (International Apple festival) का आयोजन किया गया है। देहरादून (Dehradun) में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव में हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड समेत अन्य प्रदेशों से तमाम सेब उत्पादकों ने हिस्सा लिया। आपको बता दें कि इस महोत्सव में तकरीबन देशभर से 50 सेब की वैरायटी सम्मिलित की गई हैं। महोत्सव का प्रमुख उद्देश्य राज्य में सेब का उत्पादन बढ़ाना है और उत्तराखंड के सेब की पहचान इंटरनेशनल मार्केट तक पहुंचाना है ताकि उत्तराखंड की सेब की ब्रांडिंग नेशनल से लेकर इंटरनेशनल मार्केट में हो सके।
अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव के आयोजन से उत्तराखंड के काश्तकार भी काफी उत्साहित हैं क्योंकि उन्हें सेबों के ब्रांडिंग का एक बड़ा प्लेटफार्म मिला है। हालांकि काश्तकारों को कोल्ड स्टोर न होने से दिक्कतें भी है। बावजूद इसके उन्हें उम्मीद है कि सेबों के बगीचों के आसपास सरकार कोल्डस्टोर का निर्माण भी करेगी। इसके साथ ही उद्यान विभाग के डायरेक्टर का कहना है कि उत्तराखंड में जो सेब उत्पादित किया जा रहा है, वह बहुत ही अच्छे लेवल का है लेकिन उसकी ब्रांडिंग बड़े स्तर पर नहीं हो पाती है। इसलिए हम कहीं ना कहीं चूक जाते हैं। उसी मार्केटिंग को बढ़ावा देने के लिए यह फेस्टिवल आयोजित किया गया है।
उत्तराखंड सरकार द्वारा देहरादून में सेब महोत्सव के आयोजन पर प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष और गंगोत्री से पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने सवाल उठाये गए है। हर्षिल घाटी के काश्तकारों ने दून में 24 से 26 सितंबर तक होने वाले अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव का बहिष्कार किया है। कलक्ट्रेट परिसर में सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपना आक्रोश व्यक्त किया है। किसान झाला में स्थित कोल्ड स्टोर का संचालन नहीं किए जाने से आक्रोशित हैं। हर्षिल घाटी के आठ गांव हर्षिल, झाला, सुक्की, मुखबा, पुराली, जसपुर, बगोरी व धराली के सेब काश्तकारों में झाला स्थित कोल्ड स्टोर का संचालन नहीं होने से रोष है।