भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से भारत बायोटेक स्वदेशी कोरोना वैक्सीन बना रही है। कोविड-19 टीका ‘कोवैक्सीन’ के पहले चरण के क्लीनिकल परीक्षण के अंतरिम नतीजों से पता चला है कि सभी आयुवर्ग के समूहों पर कोई गंभीर या प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला।
पोर्टल पर दी गई जानकारी
पोर्टल ‘मेडआरएक्सआईवी’ पर दिए गए जानकारी के अनुसार टीका ने एंटीबॉडी तैयार करने काम किया। विषय के जानकारों ने औपचारिक रूप से अनुसंधान रिपोर्ट का मूल्यांकन करने के पहले इसे सार्वजनिक तौर पर ‘मेडआरएक्सआईवी’ पोर्टल पर डाला गया। निष्कर्ष के मुताबिक गंभीर असर की एक घटना सामने आयी, हालाकि इसका टीकाकरण से कोई जुड़ाव नहीं पाया गया।
दो खुराक के बाद भी कोई दिक्कत नहीं
‘निष्क्रिय सार्स कोव-2 टीका बीबीवी152 का क्लीनिकल परीक्षण और सुरक्षा चरण एक’ के मुताबिक पहले टीकाकरण के बाद कुछ प्रतिभागियों में हल्के या मध्यम किस्म का असर दिखा लेकिन तुरंत यह ठीक भी हो गया। इसके लिए किसी तरह की दवा देने की जरूरत नहीं पड़ी। दूसरी खुराक के बाद भी यही रूझान देखने को मिला हैं।
375 लोगों पर किया गया परीक्षण
परिणाम के मुताबिक, ‘प्रतिकूल असर का एक गंभीर मामला सामने आया। प्रतिभागी को 30 जुलाई को टीके की खुराक दी गयी थी। पांच दिन बाद प्रतिभागी में कोविड-19 के लक्षण पाए गए और सार्स-कोव2 से उसे संक्रमित पाया गया।’ इसमें कहा गया है, ‘ये हल्के किस्म के लक्षण थे लेकिन मरीज को 15 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया। न्यूक्लिक एसिड परिणाम नकारात्मक आने पर प्रतिभागी को 22 अगस्त को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। यह मामला टीका के साथ जुड़ा हुआ नहीं था।’ कुल 11 अस्पतालों में अलग-अलग स्थानों, 375 लोगों को परीक्षण में शामिल किया गया।