चीन को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर चीन को चोट पहुंचाने के लिए पहले ही भारत के अंदर चीनी सामान के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके कुछ दिनों बाद ही चीनी एप्प्स पर बैन के साथ-साथ सरकार ने टेलिकॉम, सड़क निर्माण और रेलवे में चीनी कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाले टेंडर रद्द करने के आदेश भी दिए थे। वहीं अब भारत सरकार बिजली क्षेत्र में सख्ती बरतने पर विचार कर रही है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने बयान दिया है कि पावर प्रोजेक्ट के लिए चीन से जो भी इम्पोर्ट होता था, अब सरकार उसे रेगुलेट कर सकती है।
इस क्षेत्र में कस्टम ड्यूटी को बढ़ाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक सरकार आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने का फैसला ले सकती है, जिससे उनके उपकरणों की कीमत बढ़ जाएगी और घरेलू कंपनियों के लिए मौके खुल सकेंगे। दरअसल चीनी कंपनियों के लिए कीमतों को कम रख पाना ही उनकी सबसे बड़ी खासियत है, सरकार इसी को देखकर आगे की रणनीति तय कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने साथ ही साफ किया कि शुल्क में बढ़ोतरी के साथ-साथ सरकार अन्य नियमों में भी बदलाव करेगी, जिससे चीन की कंपनियों पर लगा लगाई जा सके।
लद्दाख सीमा पर हुए जवानों के हमले और चीनी मीडिया की तरफ से बार-बार कसे जा रहे तंज कि भारत के पास चीनी प्रोडक्ट के अतिरिक्त और दूसरा कोई विकल्प नहीं है, के बाद से सरकार आत्मनिर्भर भारत के सहारे चीन को कड़ा जवाब देना चाहती है। वहीं चीन के उपकरणों और एप से देश की सुरक्षा को लेकर भी चिंताए खड़ी हो रही हैं। ऐसे में सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों से साफ है कि वो सैन्य और आर्थिक दोनो ही तरीकों से चीन के जवाब देने की रणनीति पर काम कर रही है। गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने बयान में कहा था कि भारत में बड़े हाइवे प्रोजेक्ट्स में अब सभी चीनी कंपनियों को बैन किया जाएगा। इतना ही नहीं अगर वो किसी के साथ पार्टनरशिप में आती हैं तो भी उसपर रोक लगाई जाएगी। दूसरी ओर MSME सेक्टर में भी चीन पर नकेल कसी जाएगी।