आतंकवाद इस वक्त पूरी दुनिया के लिये बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। दुनिया में लगभग सभी आतंकवाद के विरोधी देश इसके विरुद्ध अपना सुर ऊँचा करते दिखाई दे रहे हैं। भारत भी आतंकवाद के विरुद्ध अक्सर विश्व स्तरीय मंचों पर अपनी आवाज बुलंद करता हुआ दिखाई पड़ता है। भारत के प्रधानमंत्री अक्सर दुनिया के सामने आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए आगे आने को कहते हैं। दुनिया भर में मोदी को समर्थन भी मिलता है।
आतंकवाद के खिलाफ़ हमेशा खड़ा रहा है भारत
अभी हाल ही में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद पर काफी कड़ा प्रहार करते हुए सभी देशों को इसके विरुद्ध एकजुट होने के लिए प्रेरित किया। आतंकवाद का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, “आतंकवाद आज विश्व के सामने सबसे बड़ी समस्या है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादियों को समर्थन और सहायता देने वाले देशों को भी दोषी ठहराया जाए और इस समस्या का संगठित तरीके से मुकाबला किया जाए। हमें खुशी है कि रूस की अध्यक्षता के दौरान ब्रिक्स काउंटर टेररिज्म स्ट्रेटजी को अंतिम रूप दे दिया गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। भारत इस कार्य को अपनी अध्यक्षता के दौरान और आगे बढ़ाएगा।”
यही नहीं वर्तमान की भाजपा सरकार हर समय आतंकवाद के विरुद्ध सख्त नीति अपनाती नजर आयी है। आतंकवादियों को हर मौके पर मुँह तोड़ जवाब देकर उन्हें पीछे हटने पर मजबूर किया है। चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर एयर स्ट्राइक, हर मौके पर मोदी सरकार ने आतंक के खिलाफ़ मुँहतोड़ जवाब दिया है। इसके साथ ही सीमा पर जवानों की मुस्तैदी और आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक नीति साफ तौर पर भारत सरकार की आतंकवाद के विरुद्ध खड़े होने की प्रतिबद्धता जाहिर करती है।
बदल रही है घाटी
अगर बात करें भारत की तो, हमारे देश मे अधिकतर आतंकी हमले कश्मीर मुद्दे की वज़ह से ही होते हैं। इसका भी तोड़ निकालते हुए केंद्र की भाजपा सरकार ने कश्मीर को एक मुक्त राज्य का दर्जा देते हुए वादी को और खूबसूरत बनाने का प्रयास किया है। इसका अच्छा परिणाम भी देखने को मिला है। बीते एक साल में जब से आर्टिकल 370 को हटाया गया है, तब से वादी के हालात काफी बदले हुए नजर आ रहे हैं। डर और आतंकवाद के माहौल में वर्षों से पल रही वादी में अब निडरता और प्रेम का भाव दिखाई देना शुरू हो गया है। जहाँ के युवा हाथों में पत्थर लेकर सेना और पुलिस पर वार करते नजर आते थे, अब उनके हाथों में कलम और कारोबार की जिम्मेदारी भी दिखनी शुरू हो गयी है। बीतें एक साल में ना जाने कितने अयंकवादियों का कश्मीर से सफाया किया जा चुका है। घाटी के हालात अब तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं।
घाटी का बदला माहौल नहीं रास आ रहा कट्टरपंथियों को
लेकिन हमारे देश के भीतर ही मौजूद कुछ कट्टरपंथियों को कश्मीर की ये शांति रास नहीं आ रही है। भारत के भीतर रहकर यहीं की रोटी खाने वाले ये कट्टरपंथी आजादी की माँग करते हुए पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते नजर आते हैं। वर्षों तक कश्मीर की वादी को नर्क की वादी में तब्दील करने वाले ये कट्टरपंथी अभी भी अपने कृत्यों से बाज नहीं आ रहे हैं। खुशहाली की तरफ़ कदम बढ़ा रही घाटी में धारा 370 लगवाकर ये फिर से उसे जुर्म और आतंकवाद का गढ़ बनाने में लगे हुए हैं। वर्षों तक जिन युवाओं के हाथ में इन्होंने पत्थर और बन्दूक थमाए रखे थे, अब उन्हीं हाथों का कलम पकड़ना इन्हें रास नहीं आ रहा है।
एक सर्जिकल स्ट्राइक इन कट्टरपंथियों के लिए भी जरूरी
भारत मे आतंकवाद का जितना ज्यादा खतरा पड़ोसी मुल्क से है, उतना ही इन घर मे छुपे हुए कट्टरपंथियों से भी है। जिस तरह से भारत सरकार देश के बाहर के आतंकवाद को खत्म करने के लिए नीति बना रही है उसी तरह से सरकार को इन कट्टरपंथियों को भी खत्म करने के लिए नीति तैयार करने की जरूरत है। कश्मीर से 370 हटाकर भारत सरकार आतंकवाद पर आधा प्रहार तो कर ही चुकी है, अब बस इन राजनीतिक कट्टरपंथियों पर भी एक कड़े प्रहार की जरूरत है..!