कल का दिन इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज होगा क्योंकि कल भारत की राष्ट्रीय इमारत लाल किले पर कुछ धार्मिक लोगों ने अपना ध्वज लहरा दिया जहां पर हमारा राष्ट्रीय स्वाभिमान तिरंगा लहराया जाता है। भारतीय गणतंत्र दिवस पर जिस तरह का तमाशा दिल्ली में देखा गया तो निश्चित रूप से देश को शर्मसार करने वाला था। लेकिन कई ऐसी चीज है इस आंदोलन में निकल कर आई है जिसे देखने के बाद लोग समझ सकते हैं कि यह आंदोलन नहीं था यह केवल मोदी के खिलाफ, धर्म विशेष की भावनाओं के साथ आंदोलन था। आंदोलन के उग्र होने के बाद कोई भी किसान नेता सामने आकर यह कहने को तैयार नहीं हुआ कीजिए जो हुआ है वह बिल्कुल गलत है हम ऐसे लोगों का समर्थन नहीं करते। बल्कि उल्टा कुछ लोगों ने तो पुलिस पर ही जिम्मेदारी डाल दी कि पुलिसकर्मियों ने ही घटना को अंजाम देने के लिए लोगों को प्रेरित किया।
#WATCH | Delhi: Protestors attacked Police at Red Fort, earlier today. #FarmersProtest pic.twitter.com/LRut8z5KSC
— ANI (@ANI) January 26, 2021
इस घटना में ऐसी बातें सामने आ रही है कि राकेश टिकैत जो अपने आप को किसान नेता बताते थे उनके बयानों के चलते लोगों ने हिंसा भड़काई। किसान नेता ने कहा था कि आप सभी गोला लाठी लेकर दिल्ली आओ हम देखते हैं कि आप को कौन रोकेगा? और उसके बाद दिल्ली में जो हुआ है उसकी साक्षी पूरी दिल्ली पूरा देश है। ऐसी घटनाएं सामने आई जहां तलवार बाजो ने पुलिस कर्मियों की गर्दन पर तलवार रख दी। ऐसी घटनाएं सामने आई जहां पुलिसकर्मी हाथ जोड़े बैठे रहे। ऐसी घटनाएं सामने आई जहां पर लोगों ने निहत्थी महिला पुलिसकर्मी को घेर कर मारने का प्रयास किया। लाल किले के प्राचीर से वर्दीधारी पुलिस कर्मियों को नीचे गिराया गया जिसमें बहुत सारे पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
और उसके बाद भी लोगों का आरोप है कि पुलिस कर्मियों ने किसानों पर डंडे बरसाए। यह किस तरह की भाषा का प्रयोग हमारे देश के लोग कर रहे हैं? वास्तव में अगर इस तरह का आंदोलन किसी और देश में हुआ होता तो अब तक आंदोलनकारी गोलियों का निशाना बन चुके होते। योगेंद्र यादव जैसे ऑलराउंडर नेता भी यह कहते हैं कि पुलिस ने हमें जगह नहीं दी इसीलिए यह आंदोलन हुआ। हमारा ऐसे उग्र आंदोलन कार्यों से कोई संबंध नहीं है। जब इन सभी नेताओं को पता था कि इतना बड़ा आंदोलन होने वाला है तो फिर इन लोगों ने ऐसी तैयारी क्यों नहीं की थी? लोगों ने पुलिस के बड़े अधिकारियों से बातचीत क्यों नहीं की थी? परेड करने की जीत उन्हीं की थी ना कि पुलिसकर्मियों की तो जिम्मेदारी भी उन लोगों की बनती है जिन्होंने देश को जलाने का काम किया है।