क्या आप जानते हैं उन 5 गांव के बारे में, जो अगर दुर्योधन ने पांडवों को दिए होते, तो नहीं होता महाभारत का युद्ध

महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण ने दुर्योधन से 5 गांव मांगे थे। उस दौरान श्री कृष्ण ने कहा था कि यदि यह 5 गांव पांडवों को दे दिए जाएं तो महाभारत का युद्ध टल जाएगा।लेकिन ऐसा नहीं हुआ... परंतु क्या आप जानते हैं कि आज यह 5 गांव किस हालत में है?

0
191

आप सभी जानते हैं कि महाभारत की युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण शांति दूत बनकर महाराज धृतराष्ट्र के दरबार में गए थे और उन्होंने कहा था कि यदि कुरुवंश केवल 5 गांव पांडवों को दे दे तो यह युद्ध रुक जाएगा। लेकिन इस दौरान दुर्योधन ने भगवान श्रीकृष्ण की बात नहीं मानी थी और उन्हें बंदी बनाने का प्रयास किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पांचो गांव आज किस हालत में है? वर्तमान में इन पांचों गांवों के नाम क्या है? तो आइए जानते हैं…

श्रीपत (सिही)

कहीं-कहीं श्रीपद और कहीं-कहीं इंद्रप्रस्थ नाम का उल्लेख मिलता है।  वर्तमान समय में यह स्थान दक्षिणी दिल्ली के इलाके में इंद्रप्रस्थ के नाम से मौजूद है। और यहां पर स्थित पुराना किला इस बात का सबूत है कि यहां पर किसी समय में एक बड़ा विशाल साम्राज्य हुआ करता था। ऐसा भी माना जाता है कि यही पांडवों की राजधानी रही होगी। यहां खुदाई में ऐसे बर्तनों के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत से जुड़े अन्य स्थानों पर भी मिले हैं। दिल्ली में स्थित सारवल गांव से 1328 ईस्वी का संस्कृत का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। इस अभिलेख में इस गांव के इंद्रप्रस्थ जिले में स्थित होने का उल्लेख है। आपको बता दें सही गांव हरियाणा का एक प्रसिद्ध गांव है जहां पर ऐसा माना जाता है कि कवि सूरदास ने जन्म लिया था। इसके अलावा जनमेजय ने भी यहीं पर नाग में यज्ञ किया था। जिसमें सृष्टि के सभी सर्प आकर भस्म होने लगे थे।

बागपत

आपको बता दें कि महाभारत काल के दौरान इस स्थान को व्याघप्रस्थ कहा जाता था। इसका अर्थ होता है बाघों के रहने की जगह… सैकड़ों साल पहले ऐसा माना जाता है कि जहां पर बाघ पाए जाते थे। बाद में इस स्थान को मुगल काल में बागपत के नाम से जाना गया और अब यह उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध जिला है। बागपत वह स्थान है जहां पर दुर्योधन ने षड्यंत्र करके लाक्षागृह बनवाया था। और इस लाक्षागृह में पांडवों को जलाने की कोशिश की गई थी।

सोनीपत

महाभारत काल में सोनीपत को स्वर्ण पथ कहा जाता था और बाद में यह सोनपुर से होकर सोनीपत हो गया। स्वर्ण पथ का अर्थ होता है सोने का शहर… परंतु आज यह हरियाणा का एक जिला बन गया है। और यहां पर अच्छी खासी आबादी भी रहती है।

पानीपत

महाभारत काल के दौरान जिन 5 गांव को भगवान श्री कृष्ण ने कुरुवंश से मांगा था उनमें पानीपत का भी नाम शामिल था। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में पानीपत पांडू प्रस्थके नाम से प्रसिद्ध था। इतिहास में इस स्थान को कई बार उल्लेखित किया गया है क्योंकि यहां पर 3 युद्ध हुए थे। पानीपत का प्रथम द्वितीय और तृतीय युद्ध।  पानीपत राजधानी नई दिल्ली से 90 किलोमीटर उत्तर में है। इसे ‘सिटी ऑफ वीबर’ यानी ‘बुनकरों का शहर’ भी कहा जाता है।

तिलपत

महाभारत काल के दौरान तिलपत को पहले तिलप्रस्थ कहा जाता था। आपको बता दें कि भौगोलिक रूप से यह हरियाणा के फरीदाबाद जिले का एक कस्बा है जो यमुना नदी के किनारे स्थित है। इस कस्बे की आबादी लगभग 40 हजार से अधिक है। वर्तमान समय में यहां पर एक अच्छी खासी आबादी निवास करती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here