देश की आबादी के हिसाब से राज्यवार अल्पसंख्यकों की पहचान की मांग वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है, जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए एक नोटिस जारी किया है। यह नोटिस केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को भेजा गया है, जिसका जवाब सभी मंत्रालयों को 4 दिनों के भीतर देना होगा। इसके बाद ही कोर्ट फैसला सुनाएगी। बता दें दिल्ली हाई कोर्ट पहले से ही राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सीज कर चुके है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साल 1993 में एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसके अनुसार ईसाई मुस्लिम, सिख बौद्ध, पारसी को देशभर में अल्पसंख्यक घोषित किया गया था। लेकिन बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि देशभर से अल्पसंख्यक बहुअल्पसंख्यक खत्म होनी चाहिए नहीं तो देश के 9 राज्यों में हिंदुओं की जनसंख्या कम है, ऐसे में वहां पर हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए।
हम आपको बता दें देश के लद्दाख, मिजोरम, लक्ष्यद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब मणिपुर में हिंदू की जनसंख्या अल्पसंख्यक के तौर पर है, लेकिन फिर भी उन्हें कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है। बता दें बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में यह भी बताया कि जम्मू और पंजाब जैसे राज्य में सिखों की संख्या बहुसंख्यक है, लेकिन फिर भी वह अल्पसंख्यकों को मिलने वाला अधिकार पूर्ण रूप से उठा रहे हैं, लेकिन हिंदुओं को अल्पसंख्यक होने के बावजूद भी 9 राज्यों में अधिकार नहीं मिल पा रहा है। बता दें कोर्ट की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।