दुनिया भर में कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में सभी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के निर्देश दिये थे। माना जा रहा हैं कि अब आईटी कंपनियां यही चाहती है कि लॉकडाउन के बाद भी कर्मचारी घर से ही काम कर सकें। लॉकडाउन के कारण आईटी कंपनियों के कई कर्मचारी पहले से ही वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार मई के शुरूआत में आईटी कंपनियों के प्रमुख दिग्गजों ने सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसमें आईटी कंपनियों ने देश के टैक्स और श्रम कानूनों में बदलाव की मांग थी। ग़ौरतलब है कि आईटी इंडस्ट्री 191 अरब डॉलर की है। कोरोना वायरस के संकट के बाद आईटी सेक्टर के कामकाज के तरीकों में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। सरकार के अधिकारियों ने पूछा था कि इस बदलाव के लिए उद्योग को किस तरह के कानूनी प्रावधानों की जरूरत होगी। ET के अनुसार इंफोसिस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर यूबी प्रवीण राव ने बताया कि आने वाले समय में वर्क फ्रॉम होम एक सामान्य बात हो जाएगी। लेकिन, इसके पहले काफी तैयारी की जरूरत पड़ेगी ।
वहीं सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि उद्योग संगठन नास्कॉम (NASSCOM)को एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया है। यह रिपोर्ट संबंधित मंत्रालयों और विभागों को भेजी जाएगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही कोई फैसला लिया जाएगा। इंडस्ट्री ने हाल में जुलाई तक दी गई कुछ रियायतों को स्थायी रूप से देने की गुहार लगाई है। इसमें बैक-ऑफिस कंपनियों को काम करने के लिए टेलीकॉम नियमों में नरमी के नियम भी शामिल हैं। नास्कॉम अभी वर्क फ्रॉम होम के नजरिये से श्रम कानूनों की समीक्षा कर रहा है। इस हफ्ते सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। वित्त वर्ष 2019-20 में देश का सॉफ्टवेयर निर्यात 147 अरब डॉलर रहा। नास्कॉम के सीनियर डायरेक्टर और हेड ऑफ पब्लिक पॉलिसी आशीष अग्रवाल के अनुसार अभी श्रम कानूनों में काफी बदलाव की जरूरत है। कामकाज के घंटों और शिफ्ट की टाइमिंग में फ्लेक्सिबिलिटी होनी चाहिए। मार्च में लॉकडाउन के बाद से देश की बड़ी टेक आईटी उद्योग कंपनियों जैसे गूगल और एपल भी अपने कंपनी में कार्यरत 90 फीसदी से ज्यादा कर्मचारियों को वर्कफ्रॉम होम की सेवाएं दे रहा है। सरकार ने इस इंडस्ट्री को आवश्यक सेवाओं में रखा है और इसे एसईजेड में यूनिटों की तरह छूट दी गई है।