मुफ्त की बिजली भारत को दे सकती है बड़ा झटका, मुफ्त की बिजली ला सकती है भारत के बुरे दिन

भारत के कई प्रमुख राजनीतिक दल बिजली देकर अपनी सरकार बनाना चाहते हैं। लेकिन सोचने की बात तो यह है कि जिस देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग विभागों के लोगों को पिछले कई महीनों से वेतन न मिलता हो, ऐसे में एक और फ्री की व्यवस्था कहीं राज्यों को अंधकार में तो नहीं डुबो देगी।

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प्रतीकात्मक चित्र

हमारे देश में अब फ्री की व्यवस्थाओं को बांटने का चलन शुरू हो गया है। फ्री बिजली फ्री पानी के लालच देकर लोग प्रदेशों में अपनी सरकार बनाना चाहते हैं। चाहे इस व्यवस्था से देश को नुकसान हो, चाहे इस व्यवस्था से प्रकृति का संतुलन खत्म हो जाए। लेकिन तत्कालीन राजनेता केवल अपने स्वार्थ के लिए यह कदम उठा रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सबसे पहले दिल्ली में बिजली को फ्री करने का ऐलान किया। उसके बाद उन्होंने गोवा और पंजाब में भी इसी नीति को अपनाने की बात कही है। लेकिन क्या आपको लगता है कि देश में अंडर ग्राउंड बिजली लाइन, मुफ्त बिजली सौर ऊर्जा को बढ़ावा देकर देश की व्यवस्थाओं को संतुलित किया जा सकता है?

भारत की राजधानी और ऐतिहासिक शहर होने के साथ ही दिल्ली गंदी यमुना और जहरीली हवा के लिए भी मशहूर है। राज्य को बिजली और पानी की बड़ी सप्लाई दूसरे राज्यों से मिलती है लेकिन राज्य सरकार इसे वोटबैंक के चक्कर में काफी हद तक मुफ्त कर देती है। 2021 की गर्मियों में दिल्ली में बिजली की मांग रिकॉर्ड 7.40 गीगावॉट तक पहुंच गई। देश की राजधानी अंधेरे में हो, ये कोई नहीं चाहता, इसीलिए हर साल गर्मियों में डिमांड पीक पर आते ही राजधानी को बिजली देने के लिए और राज्यों में बिजली कटौती करनी पड़ती है।

उत्तराखंड की 20 से ज्यादा छोटी और विशाल बांध परियोजनाओं से जितनी बिजली बनती है। वह भी गर्मियों में दिल्ली की आधी डिमांड ही पूरी कर सकती है। लेकिन इस बिजली के बदले में बांधों की वजह से डूबी लाखों एकड़ जमीन, हजारों लोगों का विस्थापन और बदली जलवायु से आती प्राकृतिक आपदाएं हमारे सामने होती है। आपको  बता दें कि अपनी सत्ता बचाने के लिए बीजेपी ने राज्य में 100 यूनिट बिजली मुफ्त कर दी है। 200 यूनिट के बिल पर 50 फीसदी सब्सिडी दे दी है। यह घोषणा उस राज्य में की गई है जहां मार्च से रोडवेज के 5,800 कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है।

गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों, सिंचाई के लिए किसानों, अस्पतालों और सरकारी स्कूलों को मुफ्त बिजली मिलनी चाहिये। लेकिन जो लोग बिल चुका सकते हैं, उन्हें बिजली का बिल देना चाहिए। उस सुविधा के लिए मूल्य चुकाना चाहिए, जिसके खातिर कहीं बांधों ने जमीन डुबाई है, तो कहीं कोयला बिजलीघरों ने राख उड़ेली है। शिक्षा और स्वास्थ्य को निशुल्क करना लोक कल्याण है, लेकिन अन्य सेवाओं के लिए मूल्य का भुगतान करना ही चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो सरकारी व्यवस्थाएं पर बर्बाद भी हो सकती है।

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