Four More Shots Please Season 2 Review: पहले से कहीं ज्यादा इमोशनल है ये सीजन, सिखाता है ज़िन्दगी में आने वाली परेशानियों का सामना किस प्रकार किया जाए

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मुख्य कलाकार: कीर्ति कुल्हाड़ी, बानी जे, सयानी गुप्ता, मानवी गागरु, लीज़ा रे, मिलिंद सोमन, प्रतीक बब्बर, प्रबल पंजाबी, समीर कोचर आदि।

निर्देशक: नूपुर अस्थाना

महिलाओं पर आधारित वेब सीरीज़ की जब भी बात आती है तो अमेज़ॉन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज़ ‘फोर मोर शॉर्ट्स प्लीज़’ (Four More Shots Please) का नाम सबसे ऊपर आता है। हाल ही में इस वेब सीरीज़ का सेकेण्ड सीजन रिलीज़ कर दिया गया है। सीरीज़ की मुख्य स्टार कास्ट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस सीरीज़ की खास बात ये है कि फिल्म की निर्देशक, निर्माता और राइटर से लेकर अन्य क्रू मेंबर तक अधिकतर महिलाओं को ही जगह दी गई है। पिछले सीजन के मुकाबले इस सीजन में थोड़ा ज्यादा इमोशनल टच दिया गया है। सीरीज़ में मुख्य तौर पर महिलाओं की रोजमर्रा की ज़िन्दगी में आने वाली परेशानियों को दिखाया गया है। यदि आप भी यदि फोर मोर शॉर्ट्स प्लीस का यह दूसरा सीजन देखने का मन बना रहे है तो पहले इसका रिव्यू अवश्य पढ़ ले।

कहानी

पिछले सीजन (Four More Shots Please) में जहाँ कहानी का अंत हुआ था, उसी के आगे की कहानी इस सीजन में शुरू होती है। सिद्धी पटेल (मानवी गागरु) छुट्टियां मनाने इस्तानबुल गई होती है, और अचानक एक दिन वह कॉल पर उमंग सिंह (बानी जे) को बोलती है कि वह किसी बड़ी मुश्किल में है। इतना सुनते ही उमंग अपनी गर्ल गैंग को लेकर इस्तानबुल रवाना हो जाती है। इसके बाद चारों महिलाओं में फिर से दोस्ती हो जाती है और वापस इंडिया आ जाती है। यहीं से असली कहानी की शुरूआत होती है। दामिनी रॉय (सयानी गुप्ता) को उसकी अपनी बनाई कंपनी से निकाल दिया जाता है और अब वह राइटर बन एक विवादास्पद किताब लिख देती है। उस किताब को लोगों तक पहुंचाना दामिनी के लिए आसान नहीं होता।

सिद्धी पटेल अब भी यह सोच रही होती है कि आखिर उसे ज़िन्दगी में करना क्या है और इस बार वह एक कॉमेडी आर्टिस्ट के तौर पर अपना करियर बनाने का फैसला करती है। अंजना मेनन (कीर्ति कुल्हाड़ी) को उसका बॉस नौकरी से निकाल देता है, जिसके बाद वह नई कंपनी जॉइन करती है। अंजना का अपने जुनियर वरुण के साथ ब्रेकअप हो जाता है और अपनी ज़िन्दगी का अकेलापन दूर करने के लिए वह अपने नई कंपनी के नए बॉस के साथ नज़दीकियां बढ़ाने की कोशिश करती है। उमंग सिंह, समारा कपूर (लीज़ा रे) के साथ अपने रिश्ते को शादी में तब्दील करने की कोशिश करती है।

एक्टिंग

एक्टिंग के मामले में कीर्ति और मानवी ने बेहतरीन काम किया है। कीर्ती को एक पावरफुल महिला के रुप में प्रस्तुत किया गया है तो वहीं मानवी ने खुद को एक्सेप्ट करना सिखाया है। सयानी गुप्ता के इमोशनल सीन्स में ओवर एक्टिंग नज़र आती है। बानी जे ने अपना बेस्ट देने की कोशिश की है, लेकिन सीरियस डायलोग्स बोलते समय उनके चेहरे के एक्सप्रेशंस कहीं गायब हो जाते है। मिलिंद सोमन और प्रतीक बब्बर ने अपने किरदारों के साथ पूरी तरह से न्याय किया है। वहीं सीरीज़ (Four More Shots Please) के अन्य साइड कैरेक्टर भी अपने रोल में फिट नज़र आते है।

सीरीज़ की कमजोर कड़ी

सीरीज़ में महिलाओं की आजादी और फेमेनिज़्म के नाम पर केवल दारु और सेक्स पर ही जोर दिया गया है। पूरी सीरीज़ देखकर ऐसा लगता है मानो अपर क्लास फैमिली की लड़कियों को दारु और सेक्स के अलावा ज़िन्दगी में अन्य किसी चीज की जरूरत ही नहीं होती। निर्देशक नूपुर अस्थाना ने महिलाएं के अधिकार को सर्वोच्च बताने की कोशिश करते हुए दिखाया है कि यह केवल एक महिला की मर्जी है कि कब किस मर्द के साथ रिलेशनशिप में रहना चाहती है, किसके साथ सोना चाहती है और इस पूरे मामले में मर्दों की कोई राय नहीं होनी चाहिए। सीरीज़ का अंत एक बार फिर अधूरी कहानी के साथ किया गया है।

सीरीज़ की खासियत

इस सीरीज़ (Four More Shots Please) में दोस्ती का असली मतलब समझाया गया है। चारों महिलाओं की अपनी अलग लाइफ और परेशानियां होती है, लेकिन जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे के लिए वह तुरंत हाजिर हो जाती है। सीरीज़ में इमोशंस और कॉमेडी को भी बैलेंस करने की कोशिश की गई है। साथ ही सीरीज़ में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि एक महिला को अपनी ज़िन्दगी में आने वाले उतार-चढ़ाव का सामना करने के लिए हर बार किसी पुरूष की जरूरत नहीं होती। एक नारी अपने आप में संपूर्ण होती है। महिलाओं को बेशक यह सीरीज़ बेहद पसंद आएगी और आज की नारी को यह सीरीज़ देखनी भी चाहिए। वहीं यदि आप अपनी ज़िन्दगी में आने वाली चुनौतियों का सामना करना सीखना चाहते है तो एक बार ये सीरीज़ देखी जा सकती है।

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