लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन अपने 106 सालों के इतिहास में पहली बार इतना शांत दिखा है। चारबाग स्टेशन की शान्ति के पीछे का कारण कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के दर से बंद की गई ट्रेनों की आवाजाही है। जो स्टेशन चौबीसों घण्टे और बारहों महीने ट्रेनों की आवाजाही और रोज़ाना हज़ारों यात्रियों की चहलकदमी से गुलज़ार रहता था, आज वहाँ परिन्दे भी मँडराते हुए नजर नही आ रहे हैं।
सन 1914 में बने चारबाग रेलवे स्टेशन से रोज़ाना तकरीबन 280 ट्रेनें गुजरती हैं। साथ ही पूर्वांचल के हाज़रो यात्री यहाँ से या तो अपनी मंजिल के लिए सफर की शुरुआत करते हैं या फिर इस रास्ते से होकर अपने घरों की तरफ़ लौटते हैं। लखनऊ जंक्शन तमाम वीआईपी और वीवीआइपी ट्रेनों का भी आश्रय दाता रहा है। साल 1974 में जब रेलकर्मी हड़ताल पर थे तब भी यहाँ से एकमात्र लखनऊ मेल ट्रेन चलती रही थी। लेकिन अब शायद कोरोना का कहर इस ट्रेन पर भी पड़ने लगा है।
चारबाग में 250 तो लखनऊ जंक्शन पर 150 कुली सामान उठाकर अपना परिवार पालते हैं। करीब 300 पंजीकृत प्रीपेड ऑटो, रोजाना 800 से अधिक ओला व ऊबर कैब, 150 रिक्शा चालक, खानपान के 40 से अधिक स्टाल, कमसम रेस्त्रां के दो दर्जन से अधिक कर्मचारी, पार्सल में काम करने वाले 60 मजदूर, 40 से अधिक पार्किंग स्टैंड कर्मचारी और अवैध और वैध 150 से अधिक वेंडर अपने परिवार का जीवन यापन यहां से मिले मेहनताने पर करते हैं। यहां रेलवे कर्मचारियों की संख्या भी चार हजार से अधिक है।
अब सिर्फ रेलवे प्रहरी चारबाग स्टेशन व लखनऊ जंक्शन पूरी तरह सील हो गया है। यहां आरपीएफ व जीआरपी के अलावा ट्रेन ऑपरेशन से जुड़े कर्मचारी ही नजर आ रहे हैं।