देश का सबसे बड़ा धार्मिक मुद्दा बाबरी मस्जिद और राममंदिर विवाद अब पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। राममंदिर निर्माण की नींव रखने के बाद अयोध्या में भव्य राममंदिर के निर्माण की शुरुआत हो चुकी है। दूसरी ओर अयोध्या के ही धन्नीपुर गांव में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए 5 एकड़ की जमीन दे दी गयी है। सुन्नी वक्फ बोर्ड को ये जमीन अयोध्या से लगभग 30 किलोमीटर दूर दी गई है।
मस्जिद की जगह होगा अस्पताल का निर्माण
अयोध्या विवाद समाप्त होने और रामलला के मंदिर निर्माण की नींव रखे जाने से रामभक्तों में एक अलग ही उत्साह है लेकिन कुछ सेक्युलर और बुद्धिजीवी लगातार तर्क दे रहे हैं कि आखिर मंदिर की जगह अस्पताल क्यों नहीं बनाया गया? दूसरी तरफ ये भी खबर है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या में मिली 5 एकड़ की जमीन पर मस्जिद के साथ अस्पताल और रिसर्च सेंटर का निर्माण करेगा मगर इस बार मस्जिद का नाम बाबर के नाम पर नहीं रखा जाएगा।
मस्जिद के हक में फैसले के बाद भी क्या अस्पताल बनाता सुन्नी बोर्ड?
ऐसे में अब सवाल ये है कि जब सुन्नी वक्फ बोर्ड को पहले ही अयोध्या में अस्पताल और रिसर्च सेंटर का निर्माण करना था तो सालों तक सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद का मामला क्यों लटकाए रखा? करोड़ो हिंदुओं की आस्था का प्रतीक माने जाने वाले राममंदिर को लेकर इतना विवाद क्यों खड़ा किया गया? इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तक भी अयोध्या में अस्पताल बनाने की कोई खबर सामने नहीं आ रही थी लेकिन अचानक मंदिर निर्माण के बाद ही इस तरह के फैसले पर हर कोई हैरान है।
क्योंकि आज से पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड लगातार अयोध्या में बाबरी मस्जिद की बात को कबूलता आया था। अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कहीं बाबरी मस्जिद के हक़ में आता तो क्या तब भी सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या में मिली जमीन पर अस्पताल और रिसर्च सेंटर का ही निर्माण करता? ऐसे कई सवाल हैं जिसने एक बार फिर नई बहस को शुरू कर दिया है।