कोरोना महामारी के दौरान जितनी समस्या इस महामारी से खुद को बचाने की थी, उतनी ही समस्या लोगो के लिये भोजन और रोजगार की व्यवस्था भी थी। महामारी के चलते लोगो को काम धंधा छोड़कर घर में बैठना पड़ा। जिससे करोड़ो गरीब परिवारों के लिये अन्न की समस्या उठी खड़ी हुई थी। ऐसे में सरकार के आगे बीमारी से लड़ने की चुनौती के साथ ही आम जनमानस तक पर्याप्त राशन पहुँचाने की भी चुनौती थी।
ऐसे में भारत सरकार द्वारा लोगो के खाली पेट को भरने के लिये पीएम गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की गयी। कोरोना काल मे ये योजना गरीबो के लिए संजीवनी बूटी की तरह साबित हुई। पहले इस योजना को सिर्फ़ तीन महीने यानी कि अप्रैल, मई और जून के लिए शुरू किया गया था। लेकिन फिर बाद में इसे तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया गया। ये योजना नवम्बर 2020 फिर से चलाई गई और इससे तक़रीबन 81 करोड़ लोगों को लाभ मिला है।
116 लाख मीट्रिक टन अनाज केंद्र सरकार ने किया वितरित
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत परिवार के हर सदस्य को 5 किलो गेहूं या चावल मुफ्त दिया जाता था। एक किलो चने की दाल भी फ्री में दी जाती थी। इसके तहत अप्रैल 2020 में 93% , मई में 91% और जून में 71% लाभार्थियों को अनाज दिया जा चुका था। इसके लिए राज्यों ने अब तक 116 लाख मीट्रिक टन अनाज केंद्र सरकार से लिया है। पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत कोरोना काल मे प्रवासी गरीबों पर करीब 3500 करोड़ रुपए खर्च किये गए, वहीं बाद में 80 करोड़ लोगों पर 90,000 करोड़ रुपये खर्च किये गये। जिसका पूरा खर्च केंद्र सरकार ने ही उठाया। पीएम मोदी की इस योजना को दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना का भी दर्जा मिला जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा सभी राशन कार्ड धारकों को 3 माह तक जिसे बढ़ाकर बाद में 6 महीने के लिये कर दिया गया। साथ ही, अतिरिक्त दिया जाने वाला अनाज अथवा राशन भी बिल्कुल मुफ्त में दिया गया।
68,903 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की सरकार ने
वित्त मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत अब तक 42 करोड़ से अधिक लोगों को वित्तीय सहायता दी जा चुकी है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक गत 4 दिसंबर 2020 तक 68,903 करोड़ रुपए की मदद की गई है। कोरोना महामारी के दौरान बड़े-बड़े शहरों से अपने मूल राज्यों की ओर लौटने वाले श्रमिकों के जीवनयापन और उनके रोजगार के लिए जून 2020 में प्रधानमंत्री मोदी गरीब कल्याण योजना की घोषणा की गयी थी।
पीएमजीकेवाई योजना के अंतर्गत लाभार्थियों के खाते में सीमित समय सीमा के अंतर्गत नगद धनराशि भी वितरित की जा रही है। अभी तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत डिजिटल पेमेंट के माध्यम से जन धन योजना, उज्ज्वला योजना, पीएम किसान योजना के अंतर्गत लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा तीन किस्तों में यानी माह अप्रैल, मई और जून में लाभार्थी के खातों में धनराशि वितरित की गई है। केंद्र सरकार द्वारा माह अप्रैल में जब पहली किस्त जारी की गई थी, तो उज्ज्वला योजना के करीब 7.15 करोड़ लाभार्थियों के खाते में 5,606 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए थे।
केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए पीएम किसान योजना के तहत 2000 रुपये अप्रैल के प्रथम सप्ताह से ही भेजे गए। वहीं कोरोना वारियर्स डॉक्टर, नर्स, कर्मचारी आदि के लिए 50 लाख रुपये की बीमा जैसी योजनाएं शुरू की गयीं। वहीं, जन धन योजना के तहत 500 रुपये तीन महीनों के लिए और विधवा, गरीब नागरिकों, विकलांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 1000 रुपये तीन महीने के लिए भेजे गए। वहीं, उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर 3 महीनों के लिए मुफ्त में दिए गए। स्वयं सहायता समूहों को अतिरिक्त 10 लाख कोलैटरल लोन, कंस्ट्रक्शन वर्कर के लिए 31000 करोड़ रुपये के फंड्स रिलीज़ किये गए।
लॉकडाउन में मसीहा बनकर उभरी मोदी सरकार
लॉकडाउन अवधि में सरकार ने देश के किसानों और देश के अन्य लोगों को और उनके द्वारा लाभान्वित होने वाले धन को सीधे उनके खाते डीबीटी मोड के माध्यम से स्थानांतरित किया।
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत सरकार ने कोरोना काल मे प्रभावित हुए लोगों की मदद के लिए दिल खोल कर धन खर्च किया है और जितना संभव हो सका है, उतनी मदद करने का प्रयास किया है।