उत्तरी पूर्वी दिल्ली के मौजपुर इलाके में पिछले कुछ दिनों से एक अलग ही घटनाक्रम चल रहा है। सोशल मीडिया पर मौजपुर इलाके से संबंधित कुछ तस्वीरें सोशल वायरल हो रहीं थी जिनमें लिखा था कि धर्म विशेष के भय के कारण यह मकान बिकाऊ है। जैसे ही यह खबर पूरी दिल्ली में फैली उत्तरी पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी इलाके का दौरा करने पहुंच गए। उन्होंने दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को भी इस संबंध में पत्र लिखा। लेकिन जब मौके पर पहुंचकर इस मामले का जायजा लिया गया तो पता चला कि मोहनपुरी में 70 में से केवल तीन घर मुस्लिम समुदाय के हैं बाकी सभी घर हिंदुओं के हैं।
अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि यदि मुस्लिम इतनी कम संख्या में रहते हैं तो धर्म विशेष के कारण हिंदू पलायन को मजबूर क्यों हुआ? घरों के बाहर धर्म विशेष के भय के कारण मकान बिकाऊ हैं के पोस्टर तो लगे थे लेकिन उस पर किसी भी मकान मालिक का कोई नंबर दर्ज नहीं था। जबकि अधिकतर यदि कोई व्यक्ति अपने मकान को किराए पर उठाता है या बेचता है तो उस पर अपना संपर्क सूत्र अवश्य डाल देता है। एक बात और गौर करने वाली है कि इन मकानों को बेचने के लिए किसी भी परिवार वाले ने विज्ञापन नहीं दिया और न ही किसी प्रॉपर्टी डीलर से इन्हें बेचने की बात की गई। तो अगला सवाल यह उठता है कि फिर यह पोस्टर लगाए क्यों गये?
इसके जवाब में यहां के लोग कहते हैं, “फरवरी में जो दंगे हुए थे। उनमें हमारे ही लोगों पर मुकदमे किए जा रहे हैं और गैरकानूनी तरीके से कार्रवाई की जा रही है। यहां से 16 निर्दोष लोगों को एक हत्या के मामले में उठा लिया गया है और कोई सुनवाई नहीं हो रही जब यहां हमारी कोई सुनवाई नहीं है तो हम यहां रह कर क्या करेंगे?” यहां के निवासी राजपाल का कहना है, “परवेज आलम नामक एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी। परवेज गली नंबर 7 के ठीक सामने सड़क की दूसरी तरफ रहा करते थे। उनकी हत्या के आरोप में पुलिस ने मोहनपुरी के 16 लोगों को आरोपी बनाया और यह सभी लोग दंगे से लेकर आज तक जेल में हैं।”
उन्हीं आरोपियों में एक जयवीर सिंह तोमर भी हैं उनकी पत्नी सुनीता का कहना है, “हम लोग 30- 32 साल से यहां रह रहे हैं। पहले कभी कोई समस्या नहीं हुई लेकिन दंगों के बाद माहौल बिगड़ गया। उस दिन हमारी दुकान जला दी गई और बाद में मेरे पति को हत्या के आरोप में फंसा दिया गया और वह 9 अप्रैल से जेल में हैं, उन्हें अभी तक जमानत भी नहीं दी गई है।”
यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है, “मकान बिकाऊ हैं वाले पोस्टर इसलिए लगाए गए, क्योंकि परवेज आलम की हत्या में जिन 16 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। वह अप्रैल से लेकर आज तक जेल में हैं। कोर्ट ने उन्हें जमानत नहीं दी और कोई भी नेता यहां कुछ बोलने को तैयार नहीं है। इसीलिए यहां के स्थानीय निवासियों ने तय किया कि अगर सरकार का ध्यान इस तरफ लाना है, तो अपने घरों के बाहर इस तरह के पोस्टर लगाने होंगे। इसका फायदा भी यह हुआ कि उत्तरी पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी यहां आए और उन्होंने लोगों की बात सुनी।”