किसान आंदोलन के कारण पिछले 11 महीनों में जिस तरह से नागरिकों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ किया गया है आज तक भारत के इतिहास में कभी भी नहीं हुआ होगा। अब जब टिकरी बॉर्डर और उसके बाद गाजीपुर बॉर्डर से सभी तरह के बैरिकेट्स हटा लिए गए हैं। तो अब 50,000 से ज्यादा लोगों का हुजूम कभी भी दिल्ली की ओर कूच कर सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जिस तरह 26 जनवरी 2021 को दिल्ली की सड़कों पर कानून के साथ किसानों ने खिलवाड़ किया गया उसे याद रखते हुए किसी भी प्रकार की लापरवाही सही नहीं रहेगी। लेकिन यहाँ एक और बात ध्यान देने वाली है जिन लोगों ने नागरिकों के अधिकारों का हनन किया है उनपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जाती? सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिए कि पुलिस तुरंत बैरिकेट्स हटा लें। लेकिन क्या ये बेहतर नहीं होता कि अदालत किसानों को भी आदेश देती कि आपको भी सड़कें खाली कर देनी चाहिए। क्यों कि भले ही पुलिस ने बैरीकेट्स हटा लिये हों लेकिन किसान अभी भी सड़क के आस पास बने हुए हैं। कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है। जिसकी जिम्मेदारी बाद में शायद कोई किसान नेता न ले..
इन तीन नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ चल रहा है आंदोलन
किसान जिन तीन कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं, वे इस तरह से हैं-
- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) कानून-2020
- कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून-2020
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020
आपको बता दें कि इन क़ानूनों के तहत किसान अपने कृषि उत्पादों की ख़रीद बिक्री एपीएमसी मंडी से अलग खुले बाज़ार में भी कर पायेंगे। और किसानों को इस क़ानून के इसी बिंदु से सबसे ज्यादा आपत्ति है। किसानों का कहना है कि अगर वे एपएमसी की मंडियों से बाहर बाज़ार दर पर अपना फसल बेचते हैं तो हो सकता है कि उन्हें थोड़े समय तक फ़ायदा हो लेकिन बाद में एमएसपी की तरह निश्चित दर पर भुगतान की कोई गारंटी नहीं होगी।