फ्रांस में पैगंबर साहब पर कार्टून के प्रकाशन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा की गई टिप्पणियों के बाद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर इस्लामोफोबिया का राग अलापना शुरू कर दिया है। धर्म को खतरे में बताकर यूँ तो कई देशों के राजनेताओं ने अपनी राजनैतिक रोटियों को कई बार गर्म किया है लेकिन पाकिस्तान की बात ही कुछ और है। धर्म के ठेकेदार इमरान खान इन शब्दों का इस्तेमाल दुनिया के सामने धूमिल हुई अपनी छवि को साफ करने के लिए तो करते ही हैं, साथ ही मुख्य मुद्दों से लोगों का ध्यान भी बेहतर ढंग से हटा देते हैं। भारत के अलावा किसी भी अन्य देश में बात जब इस्लाम पर आती है तो पाकिस्तान धर्म की आड़ में लोगों को अच्छे से बेवकूफ बना देता है। फ्रांस में जो कुछ भी हुआ, वह इसका जीता जागता उदाहरण है।
इमरान खान ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर इस्लाम पर हमला करने का आरोप लगाया है और कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि वह फ्रांस से काफी नाराज हैं। इमरान खान का मानना है कि इस्लामोफोबिया को अगर इतना बढ़ावा मिला है तो उसमें फ्रांस के राष्ट्रपति का सबसे बड़ा योगदान है। इमरान का मानना है कि इस्लाम की जानकारी न होने के बावजूद मैक्रों ने मुसलमानों पर हमला किया है। अपने बयानों और तल्ख तेवरों से फ्रांस पर हमलावर हुए इमरान खान को जब लगा कि अभी इस्लामोफोबिया को लेकर उनका मकसद पूरा नहीं हुआ तो उन्होंने अन्य मुस्लिम देशों को पत्र लिख कर इस्लामोफोबिया के बढ़ते चलन का सामना करने के लिए सामूहिक प्रयास करने को कहा। इमरान खान ने साथ ही एक के बाद एक कई ट्वीट कर फ्रांस के राष्ट्रपति पर जमकर निशाना साधा।
इमरान खान ने किए कई ट्वीट्स
पाकिस्तान के वजीरे आला इमरान खान ने फ्रांस में हुए विवाद के बाद एक के बाद एक कई ट्वीट्स किए। इमरान खान के ट्वीट में साफ तौर पर देखा जा सकता है वह दुनिया को यह बताना चाहते हैं कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति को इस्लाम की कोई समझ नहीं है, फिर भी उन्होंने इस पर हमला करके यूरोप और दुनिया भर में लाखों मुसलमानों की भावनाओं पर हमला किया और उन्हें चोट पहुंचाई है। ट्वीट के दौरान इमरान खान शायद इस बात को भूल गए की फ्रांस की जिम्मेदारी इमैनुएल मैक्रों के कंधों पर है और वह अपने देश में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए कोई भी ठोस कार्यवाही कर सकते हैं।
इमरान खान के ट्वीट में उन्होंने लिखा आखिरी चीज जिसे दुनिया चाहती है या जरूरत है, वह है कि दुनिया को ध्रुवीकरण और अज्ञानता की वजह से इस्लामोफोबिया पर सार्वजनिक बयान से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उग्रवादियों के मन में और भी नफरत पैदा हो जाएगी। इमरान खान ने अन्य ट्वीट में लिखा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रपति मैक्रों हिंसा करने वाले आतंकवादियों के बजाय इस्लाम पर हमला करके इस्लामोफोबिया को प्रोत्साहित कर रहे हैं। अफसोस की बात है कि राष्ट्रपति मैक्रों ने इस्लाम और इस्लाम के रहनुमा पैगंबर साहब को निशाना बनाने वाले कार्टून के प्रदर्शन को बढ़ावा दिया है और जानबूझकर मुसलमानों को भड़काने पर मजबूर कर रहे हैं।
मुस्लिम देशों से लगाई गुहार
इस्लामोफोबिया के डर को मुद्दा बनाते हुए इमरान खान ने अन्य मुस्लिम देशों से गुहार लगाते हुए आग्रह किया है कि वह फ्रांस का पूर्ण रूप से बहिष्कार करें। इमरान खान ने कहा है कि नेतृत्व के स्तर पर हालिया बयानों और कुरान का अपमान करने संबंधी घटनाएं बढ़ते इस्लामोफोबिया का प्रतिबिंब हैं जो यूरोपीय देशों में फैल रहा है जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी निवास करती है। हैरान करने वाली बात ये है कि कुछ देशों ने इमरान खान का समर्थन करना भी शुरू कर दिया है।
भारत के खिलाफ उगला जहर
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर आरोपों की बौछार करने के दौरान इमरान खान ने भारत के खिलाफ जहर उगलना नहीं छोड़ा। हैरान करने वाली बात ये रही कि इमरान खान को इस्लामोफोबिया के बीच भी NRC और CAA जैसे मुद्दों को बीच मे लाना पड़ा। इसे इमरान खान की नाकामयाबी नहीं कहें तो और क्या कहें? इमरान ने अपने पत्र में लिखा मुस्लिम विरोध कानून और सीएए-एनआरसी जैसे कदम के साथ मुस्लिमों की हत्या और कोरोनावायरस के लिए मुस्लिमों को दोष देना, भारत में इस्लामोफोबिया को दर्शाता है।
अपनी कुर्सी बचाने में लगे इमरान
सिंध और कराची में पिछले कुछ दिनों से हालात ऐसे बन गए हैं कि पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के तख्ता पलट की नौबत आ गयी है। सभी दिग्गज नेताओं ने इमरान खान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्ष की रैली को पाकिस्तान की जनता का भरपूर साथ मिल रहा है। ऐसे में जिस तरह से अब इमरान खान ने इस्लामोफोबिया को ट्रम्प कार्ड के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है उसे देखते हुए ऐसा ही लग रहा है कि लोगों का ध्यान भटकाकर इमरान खान अपनी कुर्सी महफूज करना चाहते हैं।