भारत एक ऐसा देश है जहां आस्थाओं का बहुत सम्मान किया जाता है। भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं की कहानियां अधिक संख्या में विद्यमान हैं। वर्तमान में नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है और बहुत सारे लोग नहीं जानते कि यह नवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है? नवरात्रि के पर्व के पीछे बहुत सारी कहानियां जुड़ी हुई है लेकिन इसमें एक कहानी है रामायण काल की!.. आइए हम आपको बताते हैं नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
शक्तिशाली रावण को हराना था नामुमकिन
आप सभी जानते हैं कि रावण ने माता सीता का हरण किया था और उसके बाद भगवान राम ने रावण का संहार करके माता सीता के सम्मान की रक्षा की थी। लेकिन एक समय ऐसा था जब भगवान राम और महापंडित रावण के बीच युद्ध हो रहा था। और तब एक दिन रावण की ओर से किए गए प्रहार भगवान राम पर भारी पड़ने। युद्ध समाप्त होने के बाद भगवान राम बहुत हताश थे और उन्होंने अपने साथियों से यह पूछा कि आज रावण के पास इतना बल कहां से आ गया? जबकि सच्चाई मेरी तरफ है जबकि धर्म मेरी तरफ है लेकिन आज रावण हमारी सेना पर भारी क्यों पड़ा?
मां दुर्गा की आराधना से हुआ रावण का वध
तब उनके साथी जामवंत ने उन्हें उत्तर दिया था कि आज रावण अकेला मैदान में नहीं लड़ रहा था। बल्कि आज रावण के साथ आदिशक्ति मां दुर्गा लड़ रही थी। आप बाहुबल से तो रावण को हरा सकते हैं। लेकिन यदि मां दुर्गा रावण के साथ युद्ध में आती रही तो आप उसे युद्ध में नहीं हरा रहा सकते। तब भगवान राम ने जामवंत से इसका उपाय पूछा था! और जामवंत ने उत्तर दिया था कि आपको माता दुर्गा की आराधना करनी चाहिए और मां दुर्गा यदि आप पर प्रसन्न हो गई तो निश्चित रूप से आपकी विजय होगी।
भगवान राम ने 1 दिन के लिए युद्ध विश्राम किया और उस दिन युद्ध में भगवान राम की ओर से सेनापति के रूप में लक्ष्मण गए। भगवान राम ने बहुत सारे कमल मंगाए और मां दुर्गा की आराधना करने के लिए बैठ गए। प्रतिदिन भगवान राम ने माता आदिशक्ति की पूजा की और कमल चढ़ाते चले गए। आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा कि 8 दिन व्यतीत हो चुके थे। और भगवान राम अपनी आराधना के प्रकर्ष पर पहुंच गए थे। यह कहा जाता है कि शक्ति भी उसके साथ आती है जो उस शक्ति को धारण करने का संबल रखता है। मां आदिशक्ति ने नौवें दिन भगवान राम की परीक्षा लेने के लिए अंतिम कमल को गायब कर दिया। 8 दिनों की पूजा के बाद जब 9वे दिन भगवान राम मां आदिशक्ति के चरणों में कमल चढ़ाने के लिए अपने आप को आगे बढ़ाते हैं तब उन्हें उस थाली में कमल नहीं मिलता।
भगवान राम मां दुर्गा को भेंट करने वाले थे अपनी आंख
भगवान राम अपनी आराधना के प्रकर्ष से नीचे उतरे और उन्होंने यह सोचा कि यदि आज माता आदिशक्ति प्रसन्न नहीं हुई तो निश्चित रूप से हम जीत नहीं पाएंगे। क्योंकि भगवान राम बल के अलावा बुद्धिशाली भी है। इसीलिए उन्होंने अपने अतीत को याद करते हुए कहा कि मां कौशल्या मुझे “राजीव लोचन” कहती थी। राजीव लोचन का अर्थ होता है कमल जैसे नयन वाला। भगवान राम ने कहा कि अभी तो मेरे पास मेरे दो कमल हैं। अब मैं इन कमलों के द्वारा मां आदिशक्ति को प्रसन्न करूंगा। भगवान राम ने अपनी तरकश से अपने तीर को निकालकर अपनी आंख की ओर किया। और उसी समय मां आदिशक्ति प्रकट हुई और उन्होंने भगवान राम का हाथ रोक लिया और भगवान राम पर प्रसन्न होकर उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दिया। “होगी ही जय, होगी ही जय हे पुरुषोत्तम नवीन, कह इतना माँ आदिशक्ति भगवान राम में हुई विलीन !”
जिन नौ दिनों में भगवान राम ने माता आदिशक्ति की पूजा की थी। उन्हीं 9 दिनों को नवरात्रि नाम दिया जाता है और इन 9 दिनों में जो मां आदिशक्ति की पूजा करता है उस पर देवी प्रसन्न होती हैं।