चीन के दक्षिण पश्चिम इलाके में स्थित तिब्बत एक स्वायत्त क्षेत्र है। यूं तो तिब्बत एक अलग देश है, लेकिन चीन हमेशा से ही इसपर अपना अधिकार जताता आया है। भारत और चीन के मध्य में स्थित तिब्बत की पूरी दुनिया में एक अलग पहचान है। हिमालय पर्वत से लेकर कैलाश पर्वत तक, तिब्बत अपने कई पर्यटक और धार्मिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तिब्बत के ऊपर से कभी कोई प्लेन या हवाई जहाज नहीं उड़ता है! आज हम आपको इसके पीछे का मुख्य कारण बता रहे हैं।
यदि आप सोच रहे हैं कि तिब्बत के ऊपर से प्लेन न उड़ने के पीछे कोई रहस्यमयी कारण है तो आप अपने मन से यह शंका सबसे पहले निकाल दीजिए। दरअसल तिब्बत में सबसे ज्यादा ऊँचाई वाले पर्वतों की श्रृंख्ला है। जिनमें माउंट एवरेस्ट(8850 मीटर), कंचनजंगा (8586 मीटर) और मकालू (8481 मीटर) आदि शामिल हैं। यहाँ मौजूद पर्वतों की औसतन ऊँचाई 8000 मीटर है। वहीं दूसरी ओर आम कमर्शियल हवाई जहाज के ऊड़ने की सीमा भी 8000 मीटर ही है। ऐसे में इस इलाके से किसी भी हवाई जहाज का उड़ना एक नाममुमकिन सी बात है।
दुनिया की छत (Roof of the World) नाम से मशहूर इस इलाके में हवा का दबाव बहुत कम होता है। एक प्लेन में यात्रियों के लिए 20 मिनट की ऑक्सीजन का ही प्रबंध होता है। लेकिन इस इलाके में इससे अधिक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, इसीलिए यहाँ से कोई भी हवाई जहाज उड़ान नहीं भरता है। साथ ही माउंट एवरेस्ट और इसके आसपास के इलाके में बहुत तीव्र जेट धाराएं चलती हैं, जिनके भीतर प्लेन को संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है।
तिब्बत में वैसे तो एक हवाई पट्टी बनी हुई है, लेकिन आज तक विश्व के कुछ चुनिंदा पायलट ही यहाँ पर प्लेन लैंड कराने में सफल हो पाए हैं। इसके अलावा इस इलाके में आसपास कोई अन्य हवाई अड्डा नहीं है, इसीलिए किसी प्रकार की आपातकालीन स्थिति में प्लेन को किसी अन्य जगह पर उतारना संभव नहीं है।
तो दोस्तों अब आप जान गए हैं कि तिब्बत के ऊपर से कोई भी हवाई जहाज क्यों नहीं उड़ता है। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।