बॉलीवुड की ऐसी इंडस्ट्री है जहां पर बहुत सारे लोग अभिनय करते हैं, बहुत सारे लोगों को उनके फैंस हमेशा याद करते रहते हैं। तो बहुत सारे अभिनेता और अभिनेत्रियां ऐसी होती हैं जिनको उनके गोल्डन पीरियड के बाद भी याद ही नहीं किया जाता। बॉलीवुड में खलनायक का किरदार निभाने वाले बहुत सारे अभिनेता रहे हैं उनमे अमरीश पुरी, प्राण, अमजद खान, कादर खान लेकिन इनके आलावा एक और खलनायक भी है जो कभी अपनी फिल्मो और डायलॉक्स के लिए बहुत मशहूर थे। उनका नाम है डैनी डेन्जोंगपा।
आज़ उनके फैन्स ये जानना चाहते हैं कि डैनी डेन्जोंगपा इस समय कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं? शायद आप नहीं जानते हैं कि वे एक बेहतरीन फ़िल्म एक्टर के साथ साथ प्रोडयुसर और सिंगर भी थे। लेकिन इस समय वे फ़िल्मी दुनिया की चकाचौंद से बहुत दूर रह रहे हैं। डैनी की शादी गावा डेन्जोंंगपा से हुई है। उनके दो बच्चे हैं-रिनजिंग डेन्जोंंगपा और पेमा डेन्जोंंगपा। आपको बता दें कि डैनी का जन्म सिक्किम में एक बौद्ध परिवार में हुआ था। साल 2003 में डैनी को पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया था। उनका असली नाम शेरिंग फिंटसो डेंगजोंग्पा था, जो की बोलना काफी मुश्किल था इस लिए एक्ट्रेस जया बच्चन ने उन्हें सरल नाम दिया ‘डैनी’।
डैनी के सबसे प्रसिद्ध विलेन के किरदार धुंध, 36 घंटे, बंदिश, जियो और जीने दो, धर्म और कानून तथा अग्निपत। वहीं उनके पॉजिटिव पॉप्युलर किरदार थे फकीरा, चोर मचाए शोर, देवता, कालीचरण, बुलंदी और अधिकार थे। डैनी ने साल 1972 में फिल्म जगत से अपने करियर की शुरुआत की थी। लेकिन उन्हें बड़ा ब्रेक गुलजार की फिल्म “मेरे अपने” से मिली जो उसी साल रिलीज हुई थी। इस फिल्म में डैनी का पॉजिटिव किरदार था। डैनी ने 70 के दशक में सेकेंड लीड हीरो और कई पॉजिटिव किरदार निभाए जिसमें चोर मचाए शो, 36 घंटे, फकीरा, संग्राम, कालीचरण, काला सोना और देवता शामिल हैं। देवता में डैनी की परफॉर्मेंस इतनी अच्छी थी कि इसके बाद उन्हें और थोड़े बड़े सीन्स मिलने लगे। फिर वह बड़े बजट की फिल्में जैसे आशिक हूं बहारों का, पापी, बंदिश, द बर्निंग ट्रेन शामिल है। इन सभी फिल्मों में डैनी ने नेगेटिव किरदार भी निभाया। आखिरी बार वे मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी फिल्म में नजर आए थे।
डैनी डेन्जोंगपा की फिल्म
हिंदी सिनेमा में डैनी ने “मेरे अपने (1971), धुंध (1973), चोर मचाए शोर (1974), खोटे सिक्के (1974), काला सोना (1975), लैला मजनू (1976), फकीरा (1976), कालीचरण (1976), संग्राम (1976), अब्दुल्लाह (1980), बुलंदी (1981), कानून क्या करेगा (1984), युद्ध (1985), एतबार (1985), प्यार झुकता नहीं (1985), यतीम (1989), सनम बेवफा (1991), अग्निपथ (1990), हम(1991), खुदा गवाह (1992), घातक (1996), चाइना गेट (1998), पुकार (2000),16 दिसंबर (2002), रोबोट (2010) शामिल है।