देश में इस समय नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन पर लगी रोक के बावजूद लगातार सड़कों पर लोग जमकर नारेबाजी और विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका विरोध करने वाले इसे गैर-संवैधानिक बता रहे हैं जबकि सरकार का कहना है कि इसका एक भी प्रावधान संविधान के किसी भी हिस्से की किसी भी तरह से अवहेलना नहीं करता है। वहीं अब हाल ही में पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एनपीआर (NPR) यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को भी मंजूरी दे दी गई। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद एक बार फिर देशवासियों में खलबली मच गई है।
हालांकि गृहमंत्री अमित शाह कई बार कह चुके है कि नागरिकता कानून (CAA) और सरकार द्वारा लिए गए अन्य फैसलों के प्रावधानों में किसी की भी नागरिकता छीने जाने की कोई बात नहीं कही गई है। एनपीआर (NPR) का पूरा नाम ‘नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर’ है। इसके तहत 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा जबकि नागरिकता संसोधन के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। और वहीं एनआरसी (NRC) या नैशनल सिटिजन रजिस्टर के जरिए भारत में अवैध तरीके से रह रहे घुसपैठियों की पहचान करने की प्रक्रिया पूरी होनी है। आईए संक्षिप्त रूप से आपको बताते है कि NPR, NRC और CAB एक दूसरे से किस तरह अलग है।
क्या है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR)?
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) देश के निवासियों के लिए बनाया गया एक रजिस्टर है। इसे नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीयन और राष्ट्रीय पहचान) नियम 2003 के प्रावधानों आधार पर स्थानीय (ग्राम/कस्बा/तहसील) /उपजिला/जिला/राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NPR) का उद्देश्य देश में रहने वाले प्रत्येक निवासी की पहचान का एक व्यापक डाटाबेस तैयार करना है। इस डाटाबेस में हर नागरिक के परिवार की जनसंख्या की सूची तैयार की जाएगी जिसे बाद में वैध तरीके से सरकारी तौर पर मान्य किया जाएगा।
एनपीआर को अपडेट करने का काम साल 2021 की जनगणना के लिए अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच होने वाली घरों की सूचीकरण प्रक्रिया के साथ होगा। नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होगी। पहला चरण 1 अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर 2020 के बीच होगा, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। दूसरा चरण 9 फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। तीसरे चरण में 1 मार्च 2021 से 5 मार्च 2021 के बीच संशोधन की प्रक्रिया होगी।
क्या है एनआरसी (NRC)?
एनआरसी या नैशनल सिटिजन रजिस्टर (NRC) के जरिए भारत में अवैध तरीके से रह रहे घुसपैठियों की पहचान करने की प्रक्रिया पूरी होनी है। अभी यह प्रक्रिया सिर्फ असम में हुई है। असम में एनआरसी लाने की प्रक्रिया में राज्य में रह रहे लोगों को 1971 से पहले के दस्तावेज दिखाने की आवश्यकता थी लेकिन अन्य राज्यों में अभी इसकी तयसीमा तय नहीं की गई है।
हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी जैसी कोई औपचारिक पहल शुरू नहीं हुई है। सरकार ने न तो कोई आधिकारिक घोषणा की है और न ही इसके लिए कोई नियम-कानून बने हैं। भविष्य में अगर ये लागू किया जाता है तो यह नहीं समझना चाहिए कि किसी से उसकी भारतीयता का प्रमाण मांगा जाएगा। लेकिन लगातार विपक्षी इसे लेकर खासकर मुस्लिम समुदाय में भ्रम की स्थिती पैदा कर रहा है। इसके अलावा भारत का वैध नागरिक साबित होने के लिए एक व्यक्ति के पास रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन, आधार कार्ड, जन्म का सर्टिफिकेट, एलआईसी पॉलिसी, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, पासपोर्ट, सरकार के द्वारा जारी किया गया लाइसेंस या सर्टिफिकेट में से कोई एक होना चाहिए।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA)?
इस विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। मौजूदा क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है। इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी इस विधेयक का ज़ोर-शोर से विरोध हो रहा है क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा के बेहद क़रीब हैं। विपक्षी राजनेता लगातार पूर्वोत्तर के लोगों को यह कहकर भड़का रहें है कि हिन्दू शरणार्थियों के आने से वहां रह रहे लोगों के अधिकार कम हो जाएंगे।
NRC और CAA में अतंर?
- जो लोग एनआरसी (NRC) और नागरिकता क़ानून (CAA) को लेकर सड़कों पर भारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें समझना होगा कि एनआरसी और सीएए एक दूसरे से बिलकुल अलग हैं।
- नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) जहां धर्म पर आधारित है वहां राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। सीएए में नागरिकता देने का प्रावधान है जबकि एनआरसी में घुसपैठियों को देश से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।
- CAA में अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे। वहीं एनआरसी में इस तरह का कोई कानून नहीं है।
- एनआरसी बहरहाल सिर्फ असम में लागू है जबकि सीएए देशभर में लागू होगा। एनआरसी को सरकार द्वारा नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद असम में लागू किया गया था। असम के अलावा यह किसी दूसरी जगह लागू नहीं है।
- भारतीय नागरिकता लेने के लिए एक व्यक्ति को भारत में करीब 5 साल तक रहना अनिवार्य था। लेकिन नए कानून CAA में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पांच साल भी भारत में रहे हों तो उन्हें नागरिकता दे दी जाएगी।