जयपुर । जब लोकतंत्र पर भीड़तंत्र हावी होने का प्रयास करता है, तब ना तो समाज में कानून का भय दिखता है और ना इंसानियत दिखती है। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह राजस्थान के अंदर भीड़तंत्र का राज बढ़ता गया है, वह काफी डराने वाला है। प्रदेश के नागौर में दलित युवकों पर बर्बरता बताती है कि लोगों में ना तो कानून का भय बचा है और ना पुलिस प्रशासन पर भरोसा ही। लोकतंत्र के लिए इससे बड़ी शर्मनाक बात कुछ और नहीं हो सकती। हमारी सरकार को समझना चाहिए कि हर भीड़ के पीछे एक शक्ल छिपी होती है, जो अपने मंसूबों को अंजाम तक पहुंचाने का काम सैकड़ों लोगों को बहकाकर करती है। इसीलिए वक्त आ गया है कि इन शक्लों की पहचान की जाए और इनसे सख्ती से निपटा जाए।
लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए इस भीड़तंत्र को खत्म करना जरूरी है। एक हफ्ते के भीतर राजस्थान में तीसरी ऐसी घटना सामने आई है जिसको लेकर मामला तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है। इन घटनाओं को लेकर विपक्षी बीजेपी सहित देशभर में इसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कड़ी निंदा की जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और बीएसपी प्रमुख मायावती सहित कई राजनीतिक दल सीएम गहलोत से मांग कर रहे हैं प्रदेश में एक बार फिर कानून का राज स्थापित करें। वहीं भाजपा सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है कि राजस्थान प्रदेश में कांग्रेस की अराजक सरकार के राज में क़ानून व्यवस्था पूर्ण रूप से लाचार हो गयी है। दलित उत्पीड़न ने सारी हदें लांघ दी हैं। नागौर घटना के बाद अगर कांग्रेस पार्टी में थोड़ी सी भी नैतिकता बची है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।