उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने गोकशी तथा गौ हत्या पर लगाम लगाने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है जिसके तहत गाय की हत्या एवं गोकशी करने वाले के खिलाफ कड़ी करवाई की जाएगी। गौ हत्या या गोकशी करने वाले को 3 लाख से 5 लाख तक जुर्माना भरना पड़ेगा तथा 3 साल से 10 साल तक की सजा भुगतनी पड़ेगी। इस कदम से गोवंशीय पशुओं को हानि पहुंचाने व उनके गैरकानूनी व अनियमित तस्करी पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। कैबिनेट मीटिंग में इसका मसौदा तैयार हो गया है अब इसे विधानमंडल सत्र में विधेयक के रूप में दोनों सदनों से पास कराया जाएगा।
गौकशी पर दस साल की जेल, गौ माँस निकालने पर भी मिलेगा दंड
इस अध्यादेश के अनुसार जो कोई भी धारा 3, धारा 5, धारा 5 ‘अ’ उल्लंघन करता है। उसको 3 से 10 साल की सजा का प्रावधान है तथा उसे 3 से 5 लाख का जुर्माना भरना होगा। अगर किसी व्यक्ति ने यही कार्य दूसरी बार किया तो उसे दोहरे दंड के अनुसार दंडित किया जाएगा।
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इस कानून की आवश्यकता उत्तर प्रदेश में इसलिए पड़ी क्योंकि कई सालों से उत्तर प्रदेश में गोवंश का कटान चरम पर है। पिछले कई सालों से कई गौशाला वालों को यह शिकायत थी कि उनकी गौशालाओं से गायों को ले जाया जाता है और फिर उनका कुछ भी पता नहीं चलता। अगर सक्षम प्राधिकारी या प्राधिकृत प्रयोगशाला द्वारा गौ मांस की पुष्टि होती है तो वाहन चालक वाहन स्वामी या ऑपरेटर पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यदि यह पता चलता है कि उसके वाहन का प्रयोग सभी सावधानी बरतते हुए परंतु उसे धोखे में रखकर किसी अन्य ने अपराध के लिए किया है तो वाहन स्वामी इस दायरे से बाहर होगा।
आवारा पशुओं से हो रहा है फसलों को नुकसान।
योगी कैबिनेट के इस फैसले से संत समाज में ख़ुशी की लहर है परन्तु किसानों के लिए आवारा पशुओं का विचरण एक समस्या बन गया है। जिसके कारण फसल को बहुत नुकसान हो रहा है। सड़कों पर पशुओं के घूमने से बहुत सारी दुर्घटनाएं भी हो चुकीं हैं। गायों के लिए एम्बुलेंस, हर जिले में 1000 की क्षमता वाले गौ-आश्रय स्थल और शराब, टोल टैक्स पर गौ-कल्याण सेस लगाने जैसी योजनाओं की घोषणाओं व अमल के बाद भी सरकार संरक्षित गोशालाएं बदइंतजामी की शिकार हैं।
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