अभी तक गुंडे बदमाशों और आदतन अपराधियों को बाउंड ओवर करने की खबरें सुनी होंगी, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में मरीज भी बाउंड ओवर होने लगे हैं। कोरोना के इस संकट के समय में पुलिस-प्रशासन के सामने क्वारंटाइन हुए मरीजों की निगरानी करना बड़ी चुनौती बन गया है। ऐसे में पुलिस प्रशासन द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजो से उपचार के साथ एक फार्म भरवा रही है। जिसमे कोरोना संक्रमित मरीज को नियम-कायदे से रहने की हिदायत दी जा रही है। मरीज स्वयं लिखकर देता है कि नियम तोड़ने पर मेरे विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए। अगर कोई मरीज द्वारा नियमो का उलंघन किया जाता है तो उसके खिलाफ महामारी अधिनियम और मप्र पब्लिक हेल्थ एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाएगा।
पुलिस समय-समय पर जांच करने भी जाती है। उन्हें कोई और नहीं बल्कि पुलिस और स्वास्थ्य विभाग का अमला बाउंड ओवर कर रहा है। जिस तरह अपराधियों का रिकॉर्ड रखा जाता है, उसी तरह उनका भी रिकॉर्ड रखा जा रहा है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के बढ़ने के कारण पुलिस प्रशासन द्वारा ऐसा किया जा रहा है। दरअसल, शासन द्वारा पिछले दिनों एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि जिन व्यक्तियों में कोरोना संक्रमण पाया जाता है और उनमें कोई लक्षण नहीं है तो उन्हें डॉक्टर होम क्वारंटाइन कर सकते हैं।
इसके बाद शहर के विभिन्न इलाकों में मिले मरीजों को होम क्वारंटाइन करना शुरू कर दिया। ऐसे में पुलिस-प्रशासन के सामने क्वारंटाइन हुए मरीजों की निगरानी करना बड़ी चुनौती बन गया। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने इसका तोड़ निकाला और मरीज को क्वारंटाइन करने के साथ एक फॉर्म भरवाना शुरू कर दिया। इसे कोविड-19 केस आइसोलेशन का वचन पत्र कहा जाता है, मरीज से कहा जाता है कि इसे भरने के बाद आप बाउंड ओवर हो गए। इसका उल्लंघन किया तो आपके विरुद्ध ऐसा केस दर्ज हो सकता है जिसमें जेल भी हो सकती है।
कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने पर निर्दिष्ट अवधि का पालन करने का वचन देती व देता हूं। इस दौरान स्वयं और संपर्क में रहने वाले व देखभाल करने वालों द्वारा कोविड-19 की दैनिक निगरानी की जाएगी। लक्षण उत्पन्न होने और सेहत में खराबी होने पर तत्काल नियत सर्विलांस और चिकित्सा अधिकारी को सूचना दी जाएगी। मुझे होम आइसोलेशन के संबंध में संपूर्ण जानकारी दे दी गई है। यदि मेरे द्वारा तय मानकों का उल्लंघन किया जाता है तो मेरे विरुद्ध मप्र पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 एवं महामारी रोग अधिनियम 1984 एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 के तहत कार्रवाई की जाए।