कोरोना संक्रमण के चलते ताजनगरी में पेठे की मिठाई का कारोबार बंद हो गया था। लॉकडाउन के चलते सभी दुकानें भी बंद थी और पेठे की मिठाई का निर्माण भी नहीं हो रहा था। क्योंकि न तो ताजमहल को देखने के लिए पर्यटक आ रहे थे और न ही पेठे की मिठाई बाहर जा रही थी। अब धीरे-धीरे ताज नगरी की शोभा भी वापस लौट रही है। पेठे की मिठाई के दुकानदार इस आस में बैठे हैं कि कब ताजमहल खुले? कब हमारा रोजगार तेजी से चले? यह बताया जाता है कि कोरोनाकाल से पहले आगरा आने वाला कोई भी पर्यटक बिना पेठे की मिठाई लिए घर नहीं जाता था।
अभी भी सभी दुकानें नहीं खुली हैं लेकिन नूरी दरवाजा स्थित पेठा इकाइयों में कामकाज शुरू हो गया है। पहले की अपेक्षा मिठाई कम बनाई जा रही है। ताजनगरी के दुकानदारों का कहना है कि पहले 1 दिन में 2 कुंटल तक माल बनता था लेकिन अब केवल 50 किलो ही बनाया जा रहा है। दुकानदारों का कहना है कि जब तक ताजमहल नहीं खुलेगा और आगरा के सभी प्रमुख क्षेत्रों से लॉकडाउन नहीं हटाया जाएगा तब तक हमारा रोजगार ठीक प्रकार नहीं चल सकता।
पेठा कारोबारियों ने बताया कि गर्मियों में पेठे की बहुत डिमांड होती है लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते लोग बाहर का सामान नहीं खरीद रहे हैं। नूरी दरवाजे स्थित पेठा इकाइयों में लगभग 20 से 25 तरह का पेठा बनता है लेकिन वर्तमान में सिर्फ 7 से 8 तरह का ही बनाया जा रहा है। डिमांड कम होने के कारण लगभग 300 दुकानें बंद हो गई हैं। अधिकांश दुकानें केवल पर्यटकों के भरोसे पर चल रही हैं। यह कहा जाता है ताज नगरी में पेठे का लगभग एक साल में 500 करोड़ का कारोबार होता है।