कोरोना संकट से जूझ रहे बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री के बीच होड़ चल रही है। आपको बता दें कि साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने है। बिहार के चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा नेता सुशील मोदी तथा जेडीयू नेता नीतीश कुमार राजनितिक रूप से सक्रिय हो चुके है। कोरोना की लड़ाई के खिलाफ दोनों ही पार्टी के नेता लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं से सम्पर्क बनाये हुए है। ऐसे में बिहार के जेडीयू के मुख्यमंत्री और भाजपा के उप मुख्यमंत्री ने कोरोना की जंग में अपनी अपनी पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों का कार्यक्रम लगातार जारी है। माना जाता है कि जब नीतीश कुमार को इस बात का आभास हुआ कि बीजेपी कोरोना की महामारी के बावजूद राजनीतिक रूप से से काफ़ी सक्रिय और आक्रामक है और अपनी पार्टी के आंतरिक बैठकों में उन पर निशाना साधने से नहीं चूकती है, तब उन्होंने ख़ुद से पार्टी की कमान संभाल ली। कोरोना के संकट के समय में मुख्यमंत्री नीतीश ने अपनी पार्टी की कमान के साथ साथ प्रशासनिक काम भी खुद संभाले हुए हैं। शुक्रवार को नीतीश कुमार ने अपने पार्टी के अध्यक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर उनसे आपदा राहत केन्द्रों के बारे में फीडबैक लिया और जन वितरण प्रणाली से गरीबों को मिलने वाले अनाज और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी कामों के बारे में जानकारी ली।
उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों में सोशल डिस्टेसिंग का भी प्रचार प्रसार किया जाए। नीतीश इससे पहले पार्टी के जिलाध्यक्षों और पार्टी के प्रवक्ताओं से भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात कर चुके हैं। सुशील मोदी भी पार्टी के कार्यकर्ताओं से लगातार सम्पर्क बनाये हुए है। वह समय समय पर कार्यकर्ताओं से पार्टी के कार्यों का फीडबैक लेते रहते है। सुशील मोदी अपनी बातों का सार्वजनिक रूप से वीडियो भी जारी करते हैं। शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पहले दौर की टेली कान्फ्रेंसिंग वार्ता के समापन पर बताया कि विगत 40 दिनों में कोरोना संकट से मुकाबले के लिए 19 अलग-अलग सत्रों में कुल 27 घंटे 38 मिनट तक टेली कान्फ्रेंसिंग के जरिए भाजपा के सांसदों, विधायकों, जिला, मंडल व प्रखंड अध्यक्षों के साथ ही पंचायत स्तर पर शक्ति केन्द्र प्रभारी के रूप में काम करने वाले कुल 11,124 कार्यकर्ताओं से बातचीत की। उनसे प्राप्त सुझावों के आधार पर विभिन्न राहत योजनाओं के कार्यान्वयन व समस्याओं के समाधान की दिशा में सरकार की ओर से पहल की गई। साल के अंत में चुनाव को ध्यान में रखते हुए दोनों ही नेता अपनी अपनी पार्टी के नेतृत्व करते हुए पार्टी की छवि को बनाये रखने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते है।