हरियाणा में सिर्फ कंपनियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने का फैसला सरकार के द्वारा तो कर दिया गया है। 15 जून सन 2022 से सरकार के निर्देश भी प्रदेश भर में लागू हो जाएंगे। लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि इस फैसले के खिलाफ बहुत सारी कंपनियां अपने ऑफिस तथा इकाइयों को गुरुग्राम से शिफ्ट कर नोएडा (उत्तर प्रदेश) या दिल्ली ला सकती हैं। हरियाणा के नए लेबर एक्ट (New Labour Act) के तहत कंपनियों को रोजगार में 75 फीसदी स्थानीय लोगों को आरक्षण देना होगा। ये प्रावधान 15 जून 2022 से लागू होने जा रहा है।
हरियाणा सरकार ने 2 मार्च 2021 को हरियाणा स्टेट एंपलाई ऑफ लोकल कैंडिडेट बिल पारित किया था। इस कानून के अनुसार निजी क्षेत्र में ₹50,000 से कम की तनख्वाह पाने वाली नौकरियों में हरियाणा वासियों को 75% का आरक्षण कंपनियों को देना होगा। ये नियम 10 कर्मचारियों से ज्यादा वाली कंपनियों पर लागू होगा साथ ही जो नई नियुक्तियां होंगी उऩ पर लागू माना जाएगा। सरकार के द्वारा यह कहा जा रहा था कि इस नियम के बाद प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या का हल निकल जाएगा। हालांकि इस कानून को प्रदेश भर में केवल 10 सालों के लिए लागू किया गया है। लेकिन यह कानून अब बहुत सारी कंपनियों को हरियाणा छोड़ने पर मजबूर कर सकता है।
NASSCOM के अनुसार केवल गुड़गांव में 500 से ज्यादा IT/ITeS कंपनियां मौजूद हैं, जहां 4 लाख से ज्यादा लोग काम किया करते हैं। इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि अगर हरियाणा सरकार को यह कानून वास्तविकता में अमल में आया तो लगभग डेढ़ लाख लोगों का रोजगार प्रभावित हो सकता है।