सोमवार को लोकसभा में जोरदार हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने सदन में नागरिक संशोधन बिल पास कर दिया था। करीब 7 घंटे देरी से चली सदन की कार्यवाही के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने बिल को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार हो रहे हमले का विपक्ष को करारा जवाब दिया। लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी अमित शाह ने विपक्ष के हर हमले के जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ‘नागरिकता संशोधन बिल से करोड़ों लोगों की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। इस बिल के प्रावधान से धर्म के आधार पर प्रताड़ित लोगों को नागरिकता मिलेगी।’ इसके अलावा उन्होनें इस बिल में मुस्लिम समुदाय को शामिल न किए जाने के पीछे की वजह का भी खुलासा किया।
नागरिकता संशोधन विधेयक भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ना झेल कर यहां आने वाले और नागरिकता प्राप्त नहीं कर पाने वाले अल्पसंख्यकों के लिए उम्मीद की किरण है। उन्होनें आगे कहा ‘इस बिल की वजह से कई धर्म के प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता मिलेगी लेकिन विपक्ष का ध्यान सिर्फ इस बात पर है कि मुस्लिमों को क्यों इससे वंचित रखा जा रहा है। आपकी पंथनिरपेक्षता सिर्फ मुस्लिमों पर आधारित होगी लेकिन हमारी पंथ निरपेक्षता किसी एक धर्म पर आधारित नहीं है।‘
एनडीए सरकार ने मुस्लिमों को इस विधेयक से बाहर रखने के पीछे का कारण बताते हुए स्पष्ट किया है कि मुस्लिम इन तीन देशों में बहुसंख्यक हैं। सरकार का कहना है कि इन देशों में मुस्लिमों का धार्मिक आधार पर उत्पीड़न नहीं हो सकता, क्योंकि इन देशों में ये बहुसंख्यक हैं।