भरोसे के काबिल नहीं रहा चीन

ये 1962 वाला भारत नहीं, बल्कि ये नई सदी का भारत है जो दुश्मन देश को सबक सिखाने में संकोच नहीं करता I

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पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुए खूनी संघर्ष से एक बात तो साफ हो गई है कि पाकिस्तान के साथ-साथ चीन भी कभी भारत के भरोसे के काबिल नहीं बन सकता हैI बीते 5 मई से लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सैनिकों द्वारा अतिक्रमण करने की कोशिश ने, 15 जून तक आते-आते दोनों सेनाओं के बीच में हिंसक झड़प का रूप ले लियाI इस हिंसक झड़प में एक कर्नल सहित 20 भारतीय सैन्य कर्मियों के शहीद होने की पुष्टि हुई हैI शहीद और घायल हुए जवान 16 बिहार रेजीमेंट के हैंI वहीं, चीनी सैनिकों के ज़्यादा संख्या बल होने के बावजूद भी उसके 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर हैI

सूत्रों के अनुसार, इस झड़प में दोनों ओर की सेनाओं के द्वारा एक भी गोली नहीं चली है। पत्थरबाज़ी और लाठी-डंडे के अलावा दोनों देशों के सैनिक हाथ-पैर से भी कई घंटों तक एक-दूसरे से संघर्ष करते रहेI देर रात जब ये झड़प शांत हुई तबतक तापमान शून्य के करीब पहुँच चुका थाI इस बीच घायल भारतीय सैनिकों को हेलीकाप्टर की मदद से सेना के अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया हैI अब इस घटनाक्रम के बाद कहा जा सकता है कि पिछले 40 वर्षों से भारत-चीन के बीच शांति बहाली की जो कोशिशें हो रहीं थीं उनपर पानी फिर गया है। इसीके साथ दोनों देशों की सरकारों के प्रमुखों के मध्य अनौपचारिक वार्ता के दौर भी अब समाप्त हो सकते हैंI अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे के मौजूदा समीकरण में भी आधारभूत परिवर्तन आ सकता हैI



चीन के अंदरूनी मसले

पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैलाने का आरोप झेल रहे चीन का अचानक लद्दाख में LAC पर भारतीय सेना को उकसाना, पहली नज़र में चीन की एक बहुत बड़ी साज़िश मालूम पड़ती हैI दुनियाभर में हो रही आलोचना से घिरे चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीसीपी) पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पकड़ कमज़ोर पड़ती जा रही हैI

गौरतलब है कि शी जिनपिंग सीसीपी के चेयरमैन भी हैंI ऐसे में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि हो न हो एलएसी पर चीन का भारत से झड़प करना एक तरह से चीन द्वारा शी को एक मज़बूत नेता के तौर पर पेश करना होI अक्सर चीन दुनिया के समक्ष खुदको एक निर्णायक नेता के अधीन एक मज़बूत राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता आया हैI ऐसी छवि गढ़ने में चीनी सरकार द्वारा नियंत्रित मीडिया एक अहम किरदार निभाती हैI लेकिन मौजूदा वक्त में शी जिनपिंग कोरोना महामारी को रोकने में असमर्थ नज़र आ रहे हैं और यही बात उनकी पार्टी में दरार पैदा करने का काम कर रही है।

चीन की अंदरूनी राजनीति का विश्लेषण

विश्लेषण करने पर पता चलता है कि वास्तविकता में चीन जो अखंड राष्ट्र के रूप में खुदको चित्रित करता आया है। असल में चीन आज खंडित होने की कगार पर हैI उसकी सत्तारूढ़ पार्टी अपने ही देश के नागरिकों के प्रति असंवेदनशील हैI उसके नेता कपटी हैं और फिलहाल अपने देश को काबू में रखने के लिए एक मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैंI चीनी सरकार के सख्त रुख रखने के बावजूद भी नेशनल पीपल्स कांग्रेस ने विरोध के स्वरों को रेखांकित किया है जिससे चीनी नेताओं को निपटना होगाI ऐसे में कहा जा सकता है कि चीन में आने वाले वर्षों में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैंI



चीन बना भारत का सबसे बड़ा और शातिर शत्रु

गलवान घाटी में चीन से हुई इस झड़प की मुख्य वजह एलएसी पार कर इस इलाके को अपने कब्ज़े में लेने की थी। जिसे भारतीय सैनिकों ने अपने पराक्रम व सूझबूझ से नाकाम कर दियाI गौरतलब है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध का केंद्र बिंदु भी गलवान क्षेत्र ही थाI गलवान घाटी मुख्य रूप से भारत के ही आधिपत्य में है जिसे चीन ने भी स्वीकारा है लेकिन अब चीन अपने विस्तारवादी नीति के तहत इस घाटी को एलएसी के विवाद में खींचना चाह रहा है।

एलएसी पर चीन की चालबाज़ी को लेकर भारत इसलिए भी सतर्क है कि एक तरफ चीन वार्ता करने का दिखावा करता है और दूसरी ओर एलएसी पर झड़प करने से भी बाज़ नहीं आताI उसने एक बार फिर हमारी पीठ पर वार करने का काम किया है। इससे चीन अब हमारे सबसे बड़े व शातिर शत्रु के रूप में सामने आ गया हैI भारत की सीमाओं पर चीन यदाकदा अपनी विस्तारवादी नीतियों का निर्लज्ज प्रदर्शन करता रहता हैI गलवान घाटी की घटना को गंभीरता से लिए जाने की ज़रूरत हैI मित्रता की आड़ में शत्रुतापूर्ण रवैये का परिचय देना और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत को नीचा दिखाना जैसे चीन की आदत सी बन गई हैI इन सब के बाद भी भारत ने हमेशा संयम का ही परिचय दिया है पर भारत के इस संयम को चीन कमज़ोरी के रूप में तो नहीं ले रहा, ये बात भारत के नीति-निर्माताओं को गौर करने की ज़रूरत हैI जब बात देश के मान-सम्मान की हो तो देश का प्रत्येक नागरिक अपनी सरकार व भारतीय सेना का साथ देने में गौरवांवित महसूस करेगाI



भारतीय सैन्य ताकत देख चीन की नींद उड़ी

भारत और चीन के बीच अगर आर-पार की लड़ाई हो जाए तो पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना व वायुसेना मज़बूत स्थिति में है। युद्ध के मैदान में तो भारतीय जवानों की टक्कर का कोई नहीं और कारगिल में पाकिस्तान को धूल चटा देने से चीन को भी अब भारतीय फौज के हौसलों का अंदाज़ा लग चुका हैI हाल ही में निर्मित दारबुक-श्योक गाँव-दौलत बेग ओल्डी रोड (डीएसडीबीओ रोड) समेत तीन एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनने से भारतीय सैन्य क्षमता में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई हैI भारतीय वायुसेना की बात करें तो यह देश के अन्य हिस्सों से महज तीस मिनट में टैंक, तोपखाना और जवानों को लद्दाख पहुँचा सकती हैI चिनूक हेलीकॉप्टर और तेजस विमानों की गूंज पहले ही बीजिंग तक सुनाई दे चुकी हैI भारतीय सैन्य शक्ति और चीन से उसके कब्ज़े वाले अक्साई चिन इलाके को वापस लाने के मोदी सरकार के दावों ने भी चीन की नींद उड़ा दी हैI

तानाशाही चीनी सरकार को देना होगा अब सख्त संदेश

आज चीन का ये मुगालता दूर करने की ज़रूरत है कि उसकी दादागिरी से डरकर भारत उसे अतिक्रमण करने की इजाज़त दे देगाI चीन को ये समझने की ज़रूरत है कि ये 1962 वाला भारत नहीं, बल्कि ये नई सदी का भारत है जो दुश्मन देश को सबक सिखाने में संकोच नहीं करताI हमें प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत चीनी उत्पादों का आयात सीमित करने की ज़रूरत तो है ही साथ में भारत के नीति-निर्माताओं को तिब्बत, ताइवान और हांगकांग की नीतियों पर नए सिरे से विचार करना चाहिएI



इसी तरह भारत को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान के साथ रणनीतिक गठजोड़ को धार देना होगा जिससे हिंद महासागर में चीन के विस्तारवादी इरादों को विफल किया जा सकेI इसके साथ ही जो पूरी दुनिया कोरोना वायरस फैलाने का आरोप चीन पर लगा रही, ऐसे में भारत को इसपर अपना रुख सख्त रखना चाहिए व विश्व समुदाय के साथ मिलकर चीन की घेराबंदी करने से भी गुरेज़ नहीं करना चाहिएI ये समझना भला कितना मुश्किल हो सकता है कि जब चीन, भारत के हितों की चिंता नहीं कर सकता तब भारत को चीन के हितों की क्यों परवाह करनी चाहिए? तानाशाही चीनी सरकार को आज ये संदेश देने की सख्त ज़रूरत है कि ताली एक हाथ से नहीं बज सकतीI

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