दिल्ली और महाराष्ट्र के बाद अब बिहार में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ प्रदेश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है और दूसरी तरफ बाढ़ ने भी बिहार की मुसीबत बढ़ा दी है। इसी बीच नीतीश कुमार ने कोरोना संक्रमण पर अपना मौन तोड़ दिया है। बिहार में लगातार तेजी से फैल रहे संक्रमण को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट की। मीटिंग में मुख्यमंत्री के साथ उनके सभी मंत्री शामिल थे और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव भी उस मीटिंग में शामिल थे। स्वास्थ्य मंत्री, मंगल पांडे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिकायत की कि प्रधान सचिव मेरी कोई भी बात नहीं सुनते हैं। इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भड़क गए और प्रधान सचिव उमेश सिंह कुमावत को जमकर फटकार लगाई।
शिकायत सुनने के बाद नीतीश कुमार बहुत ज्यादा ही भड़क गए। उन्होंने प्रधान सचिव से कह दिया, “अगर आप से विभाग नहीं संभलता तो आप नौकरी छोड़ दीजिये।” मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे कहा, “अगर प्रतिदिन 20 हजार RT-PCR टेस्ट नही हुआ तो कारवाई के लिए तैयार रहें। आपसे विभाग नही संभलता तो छोड़िये विभाग को। जब दिल्ली में रोज 38 हज़ार टेस्ट हो सकता है तो बिहार में क्यों नही? किसी भी हाल में मरीजों की जांच हो।”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मेरे 14 साल के कार्यकाल में आज तक ऐसी स्थिति कभी नहीं आई। मैं आपको चेतावनी दे रहा हूं कि जल्द से जल्द बिहार के हालात सुधरने चाहिए और टेस्टिंग की रेट बढ़ जानी चाहिए। बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में लगातार बाढ़ का कहर जारी है। बहुत सारे लोगों का जीवन इस समय बाढ़ के कारण अस्त-व्यस्त हो चुका है। एक तरफ सरकार का कहना है कि लोगों को अपने घर पर रहना चाहिए लेकिन जिन लोगों का घर बाढ़ के पानी में डूब चुका है, वे लोग अपने घरों में कैसे रह सकते हैं उन्हें तो अपना इलाका छोड़ना ही पड़ रहा है।