कोरोना संक्रमण काल के कठिन दौर में विश्व की प्रत्येक अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। जिसमें भारत का नाम भी शामिल है। हालांकि धीरे-धीरे हमारी अर्थव्यवस्था उभर रही है। लेकिन आपको बता दें इसी बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत में डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय बैंक अपनी खुद की डिजिटल करेंसी चरणबद्ध तरीके से लॉन्च करेगा।
योजना के अनुसार RBI थोक और खुदरा (Retail) क्षेत्रों में डिजिटल करेंसी शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि लोगोंं को बगैर सरकारी गारंटी वाली डिजिटल करेंसी में उतार-चढ़ाव के असर से बचाने की जरूरत है। उनका संकेत बिटकॉइन जैसे अनअथरॉइज्ड डिजिटल करेंसी की ओर था। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंक इसे पेश करने की दिशा में काम कर रहे हैं। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक शंकर ने कहा कि उपभोक्ताओं को उन कुछ डिजिटल करेंसीज में देखी गई ‘अस्थिरता के भयावह स्तर’ से बचाने की आवश्यकता है, जिन्हें कोई सरकारी गारंटी प्राप्त नहीं है। उन्होंने ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ के ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान चर्चा में भाग लेते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आरबीआई अपनी खुद की डिजिटल मुद्रा चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित करने की रणनीति पर काम कर रहा है और इसे इस रूप से लागू किया जा सकता है जिससे बैंक व्यवस्था और मौद्रिक नीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़े।
क्या होती है डिजिटल करेंसी?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency) किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है। इसे देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है। इसकी विशेषता यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी जैसे भारत में रुपया में बदला जा सकता है। इसे आप भारत के लिहाज से डिजिटल रुपया भी कह सकते हैं। डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है-रिटेल और होलसेल। रिटेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं। होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाता है।