एक तऱफ देश गिरती अर्थव्यवस्था और घटती विकास दर से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ़ बीजेपी के नेता अपनी बेतुकी बयानबाज़ी से बाज ही नहीं आ रहे हैं। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने GDP के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करते हुए संसद में कहा, “देश के विकास को मापने का पैमाना जीडीपी 1934 में आया और इससे पहले ऐसा कोई पैमाना नहीं हुआ करता था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना उचित नहीं है।” साथ ही नेता जी ने यहाँ तक कह डाला कि आने वाले दिनों में GDP का बहुत ज़्यादा उपयोग नहीं रह जायेगा।
आपको बता दें कि देश की जीडीपी वृद्धि दर गिरकर 4.5 फ़ीसदी पर आ गई है। यह पिछले छह साल में सबसे ख़राब आंकड़ा है, इससे पहले 2013 में जनवरी से मार्च के बीच ये दर 4.3 फ़ीसदी थी। चिंता की बात ये है कि ये लगातार छठी तिमाही है जब जीडीपी के बढ़ने की दर में गिरावट आई है। सबसे चिंताजनक ख़बर ये है कि इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट 6.7% से गिरकर सिर्फ़ आधा परसेंट रह गई है।
इस स्थिति में देश में विकास दर को सुधारने का प्रयास करने के बजाय बीजेपी के नेताओ का इस तरह का बेतुका बयान जले पर नमक छिड़कने जैसा है।
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