बिहार में मुंगेर जिले के रहने वाले सिद्धांत ने एक ऐसा कार्य किया है जो युवाओं के लिए बड़ी मिसाल बन सकता है। भारत में और भारत से बाहर बहुत सारे लोगों को जींस पहनने का शौक होता है। हम सभी युवा जानते हैं कि किसी भी कपड़े को एक निश्चित समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है उसके बाद वह कपड़ा अनुपयोगी हो जाता है। सिद्धांत कुमार ने अनुपयोगी जींस का भी एक अच्छा उपयोग निकाला है जिसके माध्यम से उन्होंने नए रोजगार का सृजन किया है। इस समय सिद्धांत इस कार्य के माध्यम से 400 से ज्यादा प्रकार के नए-नए प्रोडक्ट बनाते रहते हैं।
सिद्धांत बताते हैं कि मैं जब दिल्ली में रहा करता था तो मेरे मन में कुछ क्रिएटिव करने की आई। मैंने अपनी पुरानी जींस से अपने घर को सजाना शुरू कर दिया। मैंने कुछ डिजाइन बनाई और उस पर बोतल तथा घड़ी लगाई। जब भी कोई दोस्त या मेरा रिश्तेदार इन डिजाइन को देखता तो वह मुझसे इन्हें बनाने को कहता और मेरी तारीफ करता। लोग मुझसे डिमांड करते और मैं उन्हें उपहार के रूप में अपना उत्पाद दिया करता था। 2015-16 में हमने 60,000 रूपये की कीमत से कुछ उत्पाद बनाए और एक प्रतिष्ठित मॉल में तीन से चार दिन का कैंप लगाया। इस कैंप में हमारे सारे उत्पाद विक्रय हो गए। जिससे हमें यह पता चला कि हम इस धंधे को शुरू कर सकते हैं। हमारे साथ इस समय 40 लोगों की टीम काम करती है। हम पर्स, बैग, साइकिल, बोतल तथा दैनिक जीवन में काम आने वाली प्रत्येक चीज बनाते हैं।