कल रविवार को ऑपरेशन ब्लू स्टार की 37 वीं वर्षी पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के अंदर एक कार्यक्रम के दौरान खालिस्तानी अलगाववादी जरनेल भिंडरावाले के पोस्टर तथा खालिस्तानी झंडे दिखाई दिए थे। इस मामले पर अकाल तख्त ने भी अपना समर्थन इन लोगों को दे दिया है। अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी पर खालिस्तान समर्थक नारों को सही ठहराते हुए कहा कि सिख अमृतसर में ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी पर “खालिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाकर अपना दर्द कम करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सिखों का वह गहरा घाव है, जो साल भर दर्द देता है। इसलिए बरसी पर हम ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाकर इस दर्द को कम करते हैं। इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह हमेशा के लिए हमारी याद का हिस्सा रहेगा”।
उन्होंने कहा, “भारतीय सेना ने अकाल तख्त पर वैसे ही हमला किया जैसे उसने युद्ध के दौरान चीन और पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी… सिखों के साथ किया गया व्यवहार एक युद्ध में हारने वाले पक्ष की तुलना में अधिक दमनकारी और क्रूर था।” वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने नारों पर जत्थेदार के विचारों का समर्थन किया। पिछले साल भी अपने संबोधन के दौरान भी, सिंह ने कहा था कि हर सिख खालिस्तान चाहता है और अगर सरकार उन्हें एक अलग राष्ट्र के गठन की पेशकश करती है, तो वे इसे खुशी से स्वीकार करेंगे।