बिहार से लगातार स्वास्थ्य व्यवस्था को चुनौती देने वाली ख़बरें तो सामने आती हीं रहतीं हैं। लेकिन इस कोरोना काल में जिस तरह की खबरें बिहार के अस्पतालों से आए वह निश्चित रूप से शर्मनाक थीं। वर्तमान में खबर आ रही है कि बिहार में टीकाकरण कराने के बाद लोगों को प्रमाण पत्र तक मुहैया नहीं हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार टीका लगाने के पश्चात एक प्रमाण पत्र दिया जाता है जिसे दूसरी डोज के वक्त भी लाना पड़ता है। आपको बता दें राज्य में एक करोड़ 08 लाख 43 हजार 687 ऐसे लोग हैं जिन्हें कोरोना टीका दिया जा चुका है, लेकिन उन्हें इसका प्रमाणपत्र नहीं मिला है। अब नए सिरे से पुन: टीकाकरण प्रमाणपत्र देने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, अब दूसरी खुराक लेने वालों को घोषणा पत्र भी भरना होगा।
इसके लिए राज्य स्वास्थ्य समिति ने घोषणा पत्र का प्रारूप तैयार किया है। इसमें कौन से टीके की पहली खुराक ली और दूसरी खुराक लेने की तिथि के साथ ही लाभार्थी को हस्ताक्षर करना होगा या अंगूठे का निशान लगाना होगा, तब दूसरी खुराक दी जाएगी। इससे संबंधित निर्देश राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सभी जिलों के डीएम, सिविल सर्जन व सभी मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक, उपाधीक्षक व प्राचार्य के साथ ही निदेशक, एम्स व आईजीआईएमएस, पटना को दिया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि सभी घोषणा पत्रों को संबंधित टीकाकरण संस्थान, मुख्यालय में रखा जाए। आपको बता दें जब भी कोई व्यक्ति टीकाकरण करवाने जाता है। तो उसे वैक्सीनेशन सेंटर से एक प्रमाण पत्र दिया जाता है। जिस पर उसका नाम, उसका फोन नंबर तथा वैक्सीन का नाम और अगली वैक्सीन लगाने की तिथि लिखी होती है। लेकिन बिहार में बहुत सारे लोगों को वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट नहीं मिला है।