उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए सभी तरह के कदम उठाने की ओर अग्रसर है। यह माना जाता है कि जो प्रदेश जितना बड़ा होता है उसे विकास के मार्ग पर ले जाने में उतनी ही कठिनाई होती है। आप सभी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या भारत के सभी राज्यों में सबसे अधिक है इसीलिए उत्तर प्रदेश में विकास की सबसे ज्यादा आवश्यकता है। लेकिन उस विकास को करने में सबसे ज्यादा कठिनाई भी उत्तर प्रदेश में ही आती है। शिक्षा स्वास्थ्य बिजली या किसी भी मूलभूत सुविधा को उत्तर प्रदेश में यदि उन्नत बनाना है तो सरकारों को जमीनी स्तर पर काम करना होगा यानी ग्राम और कस्बों के स्तर पर।
समाप्त होती ग्राम पंचायत
आने वाले कुछ समय में अब उत्तर प्रदेश के ग्राम पंचायत चुनाव भी होने हैं। जिन पर उत्तर प्रदेश के गांव का विकास आश्रित रहता है। उत्तर प्रदेश में बहुत सारी ग्राम पंचायतें हैं, लेकिन अब यह माना जा रहा है कि आने वाले ग्राम पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायतों की संख्या बढ़ेगी नहीं अपितु कम हो जाएगी। इसका सबसे बड़ा कारण है कि बहुत सारी पंचायत है। राज्य निर्वाचन आयोग को विभाग से मिली सूचना के अनुसार राज्य की 587 ग्राम पंचायतें पूर्ण रूप से और 680 पंचायतें आंशिक रूप से शहरी क्षेत्र में शामिल हो चुकी हैं। इसका अर्थ यह है कि 587 ग्राम प्रधान के पद तो समाप्त हो ही गए। वही 680 पंचायतें जो आंशिक रूप से किसी क्षेत्र में शामिल हुई है इसके अलावा बची हुई ग्राम पंचायत भी किसी अन्य श.हरी क्षेत्र में शामिल कर दी जाएगी। तो निश्चित रूप से जो पंचायतें पूरी तरह से शहरी क्षेत्र में चली गई है वहां पर ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य के पद खत्म हो जाएंगे।
वर्ष 2015 में 59162 ग्राम प्रधान चुने गए थे, 742269 ग्राम पंचायत सदस्य चुने गए थे, वहीं 821 क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष और 75576 क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य 3112 तथा जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर चुने गए थे। यदि वर्तमान की योगी सरकार इसी तरह से ग्राम पंचायतों को शहरी क्षेत्रों में संयुक्त करती रही या उन्हें समाप्त करती रही तो निश्चित रूप से बहुत सारे ग्राम प्रधानों के पद समाप्त हो जाएंगे।
क्यों हो रहा है बड़ा बदलाव?
इस बड़े बदलाव का एक प्रमुख कारण है ग्राम पंचायतों में अधिकारियों द्वारा किया जाने वाला भ्रष्टाचार। भारत के कुछ हिस्सों में यह माना जाता है कि सारी चीजें केवल पेपर पर बनाई जाती है जमीन पर कुछ भी नहीं बनाया जाता। अभी भी बहुत सारे गांव ऐसे हैं जहां पर विकास के नाम पर उत्तर प्रदेश सरकार पैसा देती है लेकिन अधिकारी और वहां के क्षेत्रीय नेता मिलकर उस पैसे को हजम कर जाते हैं। शिक्षा विभाग से लेकर निर्माण विभाग तक ग्राम पंचायतों में जो भ्रष्टाचार होता है उसके कारण सरकार का पैसा तो व्यर्थ होता ही है साथ ही साथ विकास कार्यों में रोक लग जाती है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या है। इस भ्रष्टाचार को रोकने की क्योंकि जब तक इस समस्या को नहीं रोका जाएगा तब तक गांव के विकास का रास्ता साफ नहीं हो सकता।
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