कश्मीरी पंडितों के लिए बड़ा ऐलान, जम्मू-कश्मीर के 5 जिलों में बनेंगे फ्लैट

इस्लामिक कट्टरवाद के कारण जम्मू कश्मीर से पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों को अब उनका हक मिलने वाला है। कहा जा रहा है कि अब जम्मू कश्मीर में उनके रहने के लिए फ्लैट तैयार किए जाएंगे। राज्य के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यह निर्णय लिया है।

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इस्लामिक आतंकवाद और कट्टरपंथ के कारण अपनी जन्मभूमि जम्मू कश्मीर को छोड़कर दर-दर भटकने के लिए मजबूर होने वाले कश्मीरी पंडितों के अब अच्छे दिन आने वाले हैं। कश्मीरी पंडितों को उनके वतन यानी जम्मू-कश्मीर लौटने का मौका मिलने वाला है। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाली प्रशासनिक परिषद ने 2015 के प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत घाटी में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए 2744 फ्लैटों के निर्माण के लिए पाँच जिलों में भूमि हस्तांतरण को मँजूरी दे दी है। इसके तहत 278 कनाल जमीन आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास एवं पुननिर्माण विभाग को स्थानांतरित की जाएगी।

वहीं आपको बता दें कि दूसरी तरफ बुधवार (28 जुलाई 2021) को केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि सुरक्षा का अहसास होने के बाद से कश्मीर में प्रधानमंत्री पुर्नवास पैकेज के तहत रोजगार पाने के लिए हाल में 3841 युवा कश्मीरी पंडित वापस लौटे हैं। केंद्रीय गृ​ह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह बात कही। उन्होंने बताया कि इसी पैकेज के तहत 1997 लोगों का चयन अप्रैल में जॉब के लिए हुआ है और वे जल्द ही कश्मीर जाने वाले हैं।

18 महीने में तैयार हो जाएँगे फ्लैट

एक बयान में केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने कहा है कि फ्लैट पाँच जिलों के सात स्थानों पर 356 करोड़ की अनुमानित लागत से बनाए जाएँगे। निर्माण कार्य 18 महीने में पूरा होने की उम्मीद है। इससे करीब 413 कुशल और अकुशल श्रमिकों को रोजगार मिलेगा। इससे पहले केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में विस्थापित कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के लिए 920 करोड़ रुपए की लागत से 6,000 ट्रांजिट आवास इकाइयों के निर्माण को मँजूरी दी थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में विकास योजनाओं के लिए 80,000 करोड़ रुपए के अच्छे पैकेज की घोषणा की थी।

कुछ समय पहले ही राज्य के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कश्मीरी पंडितों को लेकर एक हाई लेवल मीटिंग में भी शामिल हुए थे। इस मीटिंग में उपराज्यपाल ने कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाने तथा उनके मामले को सक्रिय रूप से देखने को कहा था। इसके साथ ही दूसरे राज्यों से घाटी में आने वाले प्रवासियों के रजिस्ट्रेशन में भी तेजी लाने का निर्देश प्रशासन को दिया गया था। उपराज्यपाल ने कहा था, “सबसे पहले हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कश्मीरी प्रवासियों की पूरी आबादी जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ पंजीकृत हो।”

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