जयपुर। प्रदेश में कभी कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट बने भीलवाड़ा में फिलहाल स्थिति काबू में है।वहां के हब राजधानी रामगंज इलाके के हो चुके है। दअरसल, भीलवाड़ा प्रशासन पुलिस और मेडिकल स्टाफ के प्रयासों का नतीजा है कि यहां पर कोरोना के बढ़ते संक्रमण को काफी हद तक रोका जा सका है। शायद यही वजह है कि राजस्थान में कोरोना पॉजिटिव केस के मामले में सबसे आगे रहा भीलवाड़ा अब कुल 29 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है। जयपुर में सर्वाधिक 100 से अधिक केस हैं। भीलवाड़ा में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की बढ़ती संख्या पर यहां के सामूहिक प्रयासों से लगाम लग सकी है। अब यही भीलवाड़ा मॉडल देश के अन्य हिस्सों में भी लागू हो सकता है।
केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने राजस्थान के मुख्य सचिव टीवी गुप्ता से मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए प्रदेश के मौजूदा हालात के बारे में चर्चा की और भीलवाड़ा मॉडल’ की सराहना करने के साथ-साथ इसे देश में लागू किए जाने के संकेत दिए है । बता दें कि भीलवाड़ा में कोरोना वायरस जिला मुख्यालय की आरसी व्यास कॉलोनी स्थित बीबीएमएच अस्पताल से फैला था। यहां के डॉक्टर, नर्स, स्टाफ और इलाज करवाने आए मरीज की वजह से कोरोना की चपेट में आ गए। कोरोना पॉजिटिव के दो मरीजों की मौत हो गई। सबसे पहला मामला 20 मार्च को सामने आया था। इसके बाद पूरे भीलवाड़ा में कर्फ्यू लगा दिया गया है। घरों से बाहर निकलने वालों के साथ सख्ती बरती जा रही है। जांच का सघन अभियान चलाया गया है। जिले की सीमाएं सील की गई है।
अब आपको बताते है, क्या है भीलवाड़ा मॉडल- भीलवाड़ा के ब्रजेश बांगड़ मेमेारियल अस्पताल से फैले कोरोना वायरस को रोकने में भीलवाड़ा प्रशासन की रणनीति काम कर गई। इससे न केवल नए मामले सामने आने रुक गए बल्कि अधिकांश मरीज भी ठीक हो गए। इसके बाद भी भीलवाड़ा प्रशासन कोरोना वायरस को लेकर गंभीर रहा और तीन अप्रैल से 13 अप्रैल तक के लिए शहर में महा कर्फ्यू लगा दिया। लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया। लोगों को आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई प्रशासन के द्वारा की गई जीसी के चलते अब मॉडल की सहारना की जा रही है।