भारत की चीन से भिड़ंत के बाद चीन को अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत बड़ा झटका लगा है। आपको बता दे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ‘वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन’ में चीन को बाजार आधारित अर्थव्यवस्था का दर्जा देने की मांग कर रही थी। लेकिन इस बार यूरोपीय संघ के साथ विवाद में चीन हार चुका है। इससे पहले चीन यह मामला प्रोविजनल डिसीजन मे हार चुका है। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन को चुनौती दी थी कि अगर डब्लूटीओ ने सही फैसला नहीं दिया तो अमेरिका खुद को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन से अलग कर लेगा।
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चीन के सामान पर लगेगा एंटी-डंपिंग शुल्क
यूरोपीय संघ ने तर्क दिया कि चीन स्टील और एल्युमिनियम समेत अपने ज्यादातर उद्योगों को बहुत ज्यादा सब्सिडी देता है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन के उत्पादों की कीमतें तर्कपूर्ण नहीं रह जाती हैं। अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ इस निर्णय से यूरोपीय संघ और अमेरिका में चीन के उत्पादों पर भारी-भरकम एंटी-डंपिंग शुल्क लगाएगा। इससे यूरोप और अमेरिका अपने घरेलू उद्योग को सही संरक्षण कर पाएंगे।
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दरअसल, चीन बहुत कम कीमत पर अपने उत्पादों को दूसरे देशों में जमा कर देता है। इससे आयात करने वाले देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान होता है। जिससे स्थानीय लोगों के रोजगार पर बड़ा संकट आ जाता है। चीन किसी भी देश में अपने सामान को एकत्रित करके उसके पूरे बाजार को अपने कब्जे में ले लेता है।