बिहार की राजनीति के लिए सदैव सुर्खियों में बने रहने वाले बिहार के मुख्यमंत्री इस समय भी सुर्खियों में हैं। बिहार के मुख्यमंत्री हमेशा यह दावा करते हैं कि उनका फोकस सुशासन पर रहा है लेकिन वर्तमान में वे केवल उद्घाटन बाबू बन कर रह गयें हैं। वर्तमान में उन्होंने एक ऐसी सड़क का उद्घाटन किया जो अभी तक पूरी बनी ही नहीं है और कुछ सड़कें ऐसी हैं जो उद्घाटन कार्यक्रम से पहले ही टूट गईं। 2021 में बिहार विधानसभा चुनाव होना है इसीलिए सुशासन बाबू लगातार अपने विकास की छाप बिहार की जनता पर छोड़ना चाह रहे हैं।
• बिहार के मुख्यमंत्री ने चुनावी मौसम में प्रोजेक्ट बेहटा सरमेरा रोड का उद्घाटन किया। यह पूरा प्रोजेक्ट 92 किलोमीटर का है और नीतीश कुमार ने सड़क पूरा होने से पहले ही 66 किलोमीटर के हिस्से का उद्घाटन कर दिया।
• इसके अलावा छपरा में बंगरा घाट महासेतु की अप्रोच रोड ध्वस्त होने की खबर भी सबके सामने आई। इस पुल की लागत लगभग 509 करोड रुपए है। जिसका सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया था।
• गोपालगंज में भी 264 करोड़ की लागत से बने पुल का एक अप्रोच रोड 29 दिन में ही ध्वस्त हो गया। गंडक नदी के बड़े जलस्तर और पानी के दबाव की वजह से सत्तरघाट महासेतु का एप्रोच रोड ढह गया जिसका उद्घाटन 16 जून को नीतीश कुमार ने किया था।
चुनाव निकट होने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जनता पर अपने विकास का प्रभाव डालना चाहते हैं लेकिन इस हड़बड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को आलोचना का मौका दे रहे हैं। इसी मौके का फायदा उठाकर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने निशाना साधते हुए कहा, “लगातार पुल टूटने की घटनाएं सामने आ रही हैं। जनता का पैसा बर्बाद किया जा रहा है।
पुल टूटने की घटना साफ बता रही है कि राज्य सरकार में भ्रष्टाचार किस स्तर पर हो रहा है? लेकिन न ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे रहे हैं और न ही सड़क निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव व्यवस्थाओं को सुधार रहे हैं। लगातार पुल टूटने की घटनाओं के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही। मुझे लगता है कि नीतीश कुमार का वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज होना चाहिए क्योंकि बिहार में लगातार पुल टूटने का मुख्यमंत्री रिकॉर्ड बना रहे हैं।”